2017-03-23 15:46:00

मौजूदा प्रवासन संकट द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सबसे बड़ी त्रासदी, संत पापा


वाटिकन सिटी, बृहस्पिवार, 23 मार्च 2017 (वीआर अंग्रेजी): संत पापा फ्राँसिस ने विस्थापितों एवं शरणार्थियों का स्वागत करने एवं उन्हें अपने समुदाय में शामिल करने के प्रति प्रतिबद्धता को जारी रखने की अपील की तथा वर्तमान के विस्थापन की घटनाओं को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व की सबसे बड़ी त्रासदी के रूप में प्रस्तुत किया।

बुधवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों को सम्बोधित कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला में संत पौलुस के पत्र से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जो दृढ़ता और प्रोत्साहन की भावना पर प्रकाश डालता है।

उन्होंने कहा कि ये भावनाएं ख्रीस्तीय आशा से जुड़ी हैं क्योंकि हमारे ईश्वर दृढ़ता के ईश्वर हैं वे हमें लगातार प्रेम करते हैं और हमें सांत्वना देने से कभी नहीं थकते।

वे प्रोत्साहन के ईश्वर हैं जो हमें दुर्बलों एवं कमजोर लोगों के करीब जाने का प्रोत्साहन देते हैं। उनके बीच हमें दृढ़ता एवं आशा के प्रचारक बनने का निमंत्रण देते हैं।

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय एक-दूसरे का समर्थन करते एवं एक-दूसरे को प्रोत्साहन देते हुए आशा बोने के लिए बुलाये जाते हैं। प्रभु की कृपा द्वारा ऐसा करने में हम समर्थ हैं जो आशा के अचल स्रोत हैं।

विस्थापितों एवं शरणार्थियों की मदद करने वाले इताली संगठन की ओर इंगित करते हुए संत पापा ने शरणार्थियों एवं शरणार्थियों का स्वागत करने वालों के अधिकार एवं कर्तव्य को प्रस्तुत किया एवं वर्तमान शरणार्थी संकट को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की सबसे बड़ी त्रासदी कहा। 








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