2017-03-21 11:40:00

सम्वाद एवं एकीकरण से असहिण्ता एवं भेदभाव समाप्त करने का आह्वान


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 21 मार्च 2017 (सेदोक): रोम स्थित काथलिक लोकधर्मी समुदाय "सन्त ईजिदियो" ने "नस्लगत भेदभाव के उन्मूलन हेतु स्थापित अन्तरराष्ट्रीय दिवस" के अवसर पर एक विज्ञप्ति प्रकाशित कर सम्वाद एवं एकीकरण से असहिणुता एवं भेदभाव समाप्त करने का आह्वान किया है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 मार्च के दिन को असहिणुता एवं नस्लगत भेदभाव के उन्मूलन को समर्पित रखा है।

इस दिवस के उपलक्ष्य में प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र संघ की विज्ञप्ति में कहा गया कि "भेदभाव किये बिना प्रत्येक व्यक्ति मानवाधिकारों का हकदार है। समानता और भेदभाव न सहना मानवाधिकार कानून के मुख्य स्तंभ हैं। हालांकि, विश्व के कई हिस्सों में, भेदभावपूर्ण व्यवहार अभी भी व्यापक हैं, जिनमें नस्ल, जाति, धर्म और राष्ट्र पर आधारित रूपरेखा खींचना तथा अन्य के प्रति घृणा को उकसाना शामिल है।"   

इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया गया कि शरणार्थियों एवं आप्रवासियों के विरुद्ध विशेष रूप से नस्लगत रूपरेखा एवं घृणा को उकसाया जाता है। 2016 के सितम्बर माह में न्यू यॉर्क में शरणार्थियों एवं आप्रवासियों पर सम्पन्न शीर्ष सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संघ ने "टूगेदर" शीर्षक से एक पहल भी आरम्भ की है ताकि शरणार्थियों एवं आप्रवासियों को सुरक्षा एवं सम्मान प्रदान किया जा सके।          

इसी बीच, रोम स्थित सन्त ईजिदियो समुदाय ने सम्वाद एवं एकीकरण से असहिणुता एवं भेदभाव समाप्त करने का आह्वान किया है। समुदाय के अध्यक्ष मार्को इमपालियात्सो ने कहा है कि "नस्लगत भेदभाव के उन्मूल्न हेतु स्थापित अन्तरराष्ट्रीय दिवस" आप्रवासियों, शरणार्थियों, दुर्बल, बेघर एवं वृद्ध व्यक्तियों के विरुद्ध व्याप्त असहिणुता एवं हिंसा की उपस्थिति पर चिन्तन करने का सुअवसर है।"

उन्होंने कहा, "नस्लगत व्यवहार एवं भेदभाव को दूर करना एक दूरदर्शी कार्य है जो सम्वाद एवं एकीकरण को प्रोत्साहन देता है। आज, पहले से कहीं अधिक, इस बात की आवश्यकता है कि एकसाथ जीने की संस्कृति को बढ़ावा देने में निवेश किया जाये।"

संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 मार्च के दिन को असहिणुता एवं नस्लगत भेदभाव के उन्मूलन को समर्पित रखा है।

इस दिवस के उपलक्ष्य में प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र संघ की विज्ञप्ति में कहा गया कि "भेदभाव किये बिना प्रत्येक व्यक्ति मानवाधिकारों का हकदार है। समानता और भेदभाव न सहना मानवाधिकार कानून के मुख्य स्तंभ हैं। हालांकि, विश्व के कई हिस्सों में, भेदभावपूर्ण व्यवहार अभी भी व्यापक हैं, जिनमें नस्ल, जाति, धर्म और राष्ट्र पर आधारित रूपरेखा खींचना तथा अन्य के प्रति घृणा को उकसाना शामिल है।"   

इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया गया कि शरणार्थियों एवं आप्रवासियों के विरुद्ध विशेष रूप से नस्लगत रूपरेखा एवं घृणा को उकसाया जाता है। 2016 के सितम्बर माह में न्यू यॉर्क में शरणार्थियों एवं आप्रवासियों पर सम्पन्न शीर्ष सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संघ ने "टूगेदर" शीर्षक से एक पहल भी आरम्भ की है ताकि शरणार्थियों एवं आप्रवासियों को सुरक्षा एवं सम्मान प्रदान किया जा सके।          

इसी बीच, रोम स्थित सन्त ईजिदियो समुदाय ने सम्वाद एवं एकीकरण से असहिणुता एवं भेदभाव समाप्त करने का आह्वान किया है। समुदाय के अध्यक्ष मार्को इमपालियात्सो ने कहा है कि "नस्लगत भेदभाव के उन्मूल्न हेतु स्थापित अन्तरराष्ट्रीय दिवस" आप्रवासियों, शरणार्थियों, दुर्बल, बेघर एवं वृद्ध व्यक्तियों के विरुद्ध व्याप्त असहिणुता एवं हिंसा की उपस्थिति पर चिन्तन करने का सुअवसर है।"

उन्होंने कहा, "नस्लगत व्यवहार एवं भेदभाव को दूर करना एक दूरदर्शी कार्य है जो सम्वाद एवं एकीकरण को प्रोत्साहन देता है। आज, पहले से कहीं अधिक, इस बात की आवश्यकता है कि एकसाथ जीने की संस्कृति को बढ़ावा देने में निवेश किया जाये।"

 








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