2017-03-15 15:45:00

श्रीलंकाई भिक्षुओं और धर्माध्यक्षों द्वारा धार्मिक परिषदों का प्रस्ताव


कोलोम्बो, बुधवार, 15 मार्च 2017 ( वीआर सेदोक) : श्रीलंका के शीर्ष धार्मिक नेताओं ने राष्ट्रीय एकता और सुलह को बेहतर बनाने के लिए ‘धार्मिक परिषद’ की स्थापना के सुझाव नये संविधान को प्रस्तावित किया है।

बहुसंख्यक सिंहलियों और अल्पसंख्यक तमिलों के बीच का 30 वर्षीय गृह युद्ध सन् 2009 में समाप्त हुआ। राष्ट्रीय सह-अस्तित्व और राष्ट्रीय भाषाओं के मंत्री मानो गनेशान ने धार्मिक परिषद बनाने हेतु पहल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि वे कैबिनेट में इस प्रस्ताव को प्रस्तुत करेंगे। सरकार इस साल नये संविधान को संसद के सामने पेश करेगी। मंत्री ने कहा कि वे संविधान का प्रारुप तैयार कर रहे हैं और अभी तक समाप्त नहीं हो पाई है।

एक बौद्ध भिक्षु बेलनविला विमलरथाना नायक थिरो ने कहा कि वे राष्ट्रीय एकता और सामंजस्य को बढ़ावा देने के लिए विभागीय, जिला और राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक परिषदों की स्थापना का प्रस्ताव देते हैं।

कोलोम्बो के कार्डिनल मालकम रंजीत ने परिषद को संबोधित करते हुए कहा, ″धार्मिक नेताओं को तमिल-प्रधान उत्तर और पूर्व में लोगों की मदद करने पर ध्यान देना चाहिए, जिन्होंने बहुत दुःख सहा है।″

सेवानिवृत एंग्लिकन धर्माध्यक्ष डुलिप डी चिरेरा ने कहा कि एक बेहतर अपराधिक न्याय प्रणाली भी देश में  शांति को बढ़ायेगी।








All the contents on this site are copyrighted ©.