2017-03-11 16:39:00

संवाद को प्रोत्साहन दिया जाना आवश्यक, संत पापा


रोम, शनिवार, 11 मार्च 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार, 11 मार्च को वाटिकन स्थित क्लेमेंटीन सभागार में इटली के ‘टेलीफोन अमीको’ संगठन के 400 स्वयंसेवकों से मुलाकात की तथा उन्हें नवीकृत उत्साह के साथ समाज के लिए अपने बहुमूल्य सेवा को जारी रखने की सलाह दी।

संत पापा ने सभी प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर कहा, ″आपका संगठन उन लोगों की मदद करता है जो एकाकीपन की स्थिति में हैं तथा जिन्हें सुने और समझे जाने एवं नैतिक समर्थन दिये जाने की आवश्यकता है। खासकर, आज के समाज के परिपेक्ष्य में, जो कई प्रकार की कठिनाईयों से होकर गुजर रहा है। ये कठिनाइयाँ अकसर अकेलेपन एवं वार्ता के अभाव के कारण उत्पन्न होते हैं।″ उन्होंने कहा कि बड़े शहर, अत्यधिक भीड़ के बावजूद सिमटे मानव जीवन के प्रतीक बन रहे हैं और जिसके कारण लोग व्यापक उदासीनता, संस्कृति के आधार और अस्तित्व पर टिके ठोस मूल्यों की कमी, के आदी बनते जा रहे हैं। इस आधार पर संवाद एवं सुने जाने की आवश्यकता को प्रोत्साहन दिया जाना अति आवश्यक है।

संत पापा ने वार्ता के महत्व को प्रस्तुत करते हुए कहा कि वार्तालाप एक-दूसरे की आवश्यकताओं को जानने एवं समझने में मदद देता है। यह लोगों के प्रति सम्मान उत्पन्न करता है क्योंकि यह वार्ताकार के सर्वोत्तम पहलुओं पर चिंतन करने हेतु उन्हें एक-दूसरे के लिए खोल देता है। साथ ही साथ, वार्ता उदारता की अभिव्यक्ति है क्योंकि इसके द्वारा लोग विभिन्नताओं की उपेक्षा नहीं करते हुए, एक-दूसरे को सार्वजनिक भलाई की खोज करने में मदद देते हैं। बातचीत के द्वारा हम दूसरों को एक भय के रूप में नहीं देखते बल्कि उन्हें ईश्वर का वरदान मानते हैं। यह हमें चुनौती देता और पहचान प्रदान करता है। संवाद लोगों के बीच मानवीय संबंध बनाने में सहायक है तथा ग़लतफ़हमी से बाहर निकालता है।

संत पापा ने कहा कि यदि परिवारों, कार्यस्थलों और राजनीतिक क्षेत्रों में सच्ची वार्ता हो, तो कई सवालों को सुलझाया जा सकता है।  

वार्ता की शर्तों को रेखांकित करते हुए संत पापा ने कहा कि इसके लिए सुनने की क्षमता होनी चाहिए जो बहुतों में नहीं पाया जाता है। दूसरों को सुनने के लिए धीरज रखने एवं ध्यान देने की आवश्यकता पड़ती है। जिसे शांत रहकर ही किया जा सकता है। शांत रहने वाले ही सुनना जानते हैं, ईश्वर को सुनना, अपने भाई-बहनों को, जो आवश्यकता में पड़े हैं, अपने मित्रों एवं परिवार के सदस्यों को सुनना। ईश्वर स्वयं सुनने हेतु सर्वोत्तम उदाहरण हैं क्योंकि जब कभी हम प्रार्थना करते हैं वे बिना कुछ पूछे हमें सुनते हैं, वे हमारी आवश्यकताओं को सुनने के लिए पहले से तैयार रहते हैं। सुनने के मनोभाव के लिए ईश्वर ही हमारे आदर्श हैं जो हमें गलतफहमी के हर घेरे को तोड़ने की सलाह देते, संचार का निर्माण करने, एकाकी पन एवं आत्म केंद्रण की छोटी दुनिया से बाहर निकलने को कहते हैं। 

संत पापा ने इटली के टेलीफोन अमीको संगठन के प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर कहा कि वे वार्ता एवं श्रवण के द्वारा बेहतर विश्व का निर्माण कर सकते हैं। वे विश्व को सम्मान एवं स्वीकृति का स्थान बनायें जिससे कि इसके माध्यम से विभाजन एवं तनावों का सामना किया जा सकें। उन्होंने प्रोत्साहन दिया कि वे नवीकृत उत्साह के साथ समाज के लिए अपने बहुमूल्य सेवा को जारी रखें ताकि कोई भी अकेला न रहे, वार्ता के संबंध को न तोड़ें तथा सुनने से कभी न चूकें जो कि भाइयो के लिए उदारता का सबसे आसान साक्ष्य है।








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