2017-03-01 15:36:00

'सच्चे ख्रीस्तीयों के चेहरे हंसमुख और आंखों में खुशियाँ झलकती हैं', संत पापा


वाटिकन सिटी, बुधवार, 1 मार्च 2017 (सेदोक) : ″हम एक ही समय में ईश्वर और रुपये की सेवा नहीं कर सकते हैं। आइये हम ईश्वर और रुपये की महत्ता पर विचार करें।″ उक्त बातें संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 28 फरवरी को अपने प्रेरितिक निवास संत मार्था में प्रातःकलीन ख्रीस्तयाग के दौरान अपने प्रवचन में कही।

संत पापा ने संत मारकुस के सुसमाचार से धनी युवक के दृष्टांत पर चिंतन करते हुए प्रवचन में कहा कि धनी युवक येसु का अनुसरण करना चाहता था पर उसकी अपार संपति ने उसे अपनी ओर खींच लिया। येसु ने अपने चेलों से कहा ″सुई के नोक से होकर ऊँट का निकलना अधिक आसान है, किन्तु धनी का ईश्वर के राज्य में प्रवेश करना कठिन है।″ येसु की बातें चेलों को चिंता में डाल देती है। पेत्रुस ने येसु से कहा, देखिए, हम लोग अपना सबकुछ छोड़कर आपके अनुयायी बन गये हैं, हमारा क्या होगा?

संत पापा ने सुसमाचार के पदों को दुहराते हुए कहा कि धनी व्यक्ति तो भारी मन से चला गया पर येसु ने अपने चेलों से कहा, ″ऐसा कोई नहीं, जिसने मेरे और सुसमाचार के लिए घर, भाई-बहनों, माता-पिता, बाल-बच्चों अथवा खेतों को छोड़ दिया हो और जो अब, इस लोक में सौ-गुणा न पाये – घर,  भाई-बहनें,  माताएँ,  बाल-बच्चे, खेत, साथ ही साथ आत्याचार और परलोक में अनंत जीवन।″

 संत पापा ने कहा कि ईश्वर सबकुछ से कम देने के काबिल नहीं है। जब कभी वह देता हैं तो  अपने आपको पूरी तरह से दे देता है। वर्तमान समय में हमें सौ गुणा ज्यादा घर, भाई बहन और साथ में अत्याचार भी मिलता है। संत पापा ने कहा कि हमें अलग तरीके के सोच और अलग तरीके के व्यवहार को अपनाना है। येसु ने अपने आप को पूरी तरह से दे पाया क्योंकि क्रूस पर अपने आप को चढ़ा देना ही ईश्वर की परिपूर्णता थी।

ईश्वर की परिपूर्णता अपने आप को खाली करने में थी। संत पापा ने कहा कि हम ख्रीस्तीयों को भी यही मार्ग अपनाना है परिपूर्णता को पाने के लिए अपने आप को खाली करना है और यह आसान नहीं है।

संत पापा ने पहले पाठ पर ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा, " उदारता से प्रभु की स्तूति करते रहो। प्रथम फल के चढ़ावे में कमी मत करो। प्रसन्नमुख होकर दान चढाया करो और खुशी से दशमांश दो। जिसप्रकार सर्वोच ईश्वर ने तुम्हें दिया है उसी प्रकार तुम भी उसे सामर्थ्य के अनुसार उदारतापूर्वक दो।″ (प्रज्ञा 35,10-12)  

संत पापा ने कहा कि हंसमुख चेहरे और आंखों में खुशी का झलकना यह दिखाता है कि हम ईश्वर के बताये मार्ग पर चल रहे हैं। धनी युवक के चेहरे में मायूसी थी क्योंकि वह ईश्वर की पूर्णता को स्वीकार न कर सका। संत पेत्रुस और अन्य संतों ने ईश्वर की परिपूर्णता को स्वीकार किया अतः हर प्रकार की कठिनाईयों और मुसीबतों में भी उनके चेहरे में खुशी और उनके हृदय में आनंद था।

प्रवचन के अंत में संत पापा ने चीले के संत अलबेरतो के समान प्रभु से कठिनाईयों और मुसीबतों में भी खुश रहने की कृपा मांगने की प्रेरणा दी।








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