2017-03-01 15:56:00

भारत के आदिवासी धर्माध्यक्षों द्वारा अपने लोगों को एकजुट करने का प्रयास


राँची, बुधवार, 1 मार्च 2017 ( उकान): आदिवासी काथलिक धर्माध्यक्षों ने धर्म के आधार पर आदिवासियों को विभाजित कर राजनीति करने विरोध में सभी आदिवासियों को एकजुट करने का संकल्प किया है।

मध्य भारत में आदिवासी बहुल झारखंड राज्य की राजधानी रांची में 23 व 24 फरवरी को 11 आदिवासी धर्माध्यक्षों की बैठक हुई। भारत के पहले आदिवासी कार्डिनल महाधर्माध्यक्ष तेलेस्फोर पी टोप्पो ने कहा, "हमारे लोग बहुत ही मासूम और ईमानदार हैं। सांप्रदायिक ताकतें उन्हें शोषण करना जानती हैं।"

आदिवासियों के लिए बने भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय कार्यालय के सचिव फादर स्तानिस्लास तिर्की ने कहा कि भारत के 171 काथलिक धर्मप्रांतों में 26 आदिवासी बहुल धर्मप्रांत है और ये भारत के मध्य और उत्तरी-पूर्वी राज्यों में स्थित हैं।

मध्य भारत में आदिवासी लोगों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि हिंदू राष्ट्रवादी समूहों ने राजनीतिक लाभ के लिए आदिवासियों को हिंदू और गैर हिंदू में विभाजित कर रहे हैं। कार्डिनल टोप्पो ने धर्माध्यक्षों को आगाह किया कि यदि कार्रवाई नहीं की गई तो "चीजें हाथ से बाहर हो सकती हैं।"

कार्डिनल टोप्पो ने कहा कि हिंदू समर्थक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जो मध्य भारत के राज्यों की सरकार है, संकट पैदा करने के लिए आदिवासी ख्रीस्तीयों को दोषी मानती है। जैसे झारखंड राज्य ने नवंबर 2016 में दो कानून में संशोधन किया कि आदिवासियों की भूमि की रक्षा के लिए बने थे। इस परिवर्तन द्वारा सरकार को छूट मिल गई कि वो आदिवासियों की जमीन को औद्योगिक और कल्याण परियोजनाओ के लिए प्रयोग में ला सकते हैं। और इस पर बड़े पैमाने में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। और झारखंड के मुख्यमंत्री रधुवर दास ने विरोध प्रदर्शनों को भड़काने के लिए ख्रीस्तीयों को दोषी ठहराया।

दुर्भाग्य से, भाजपा को गैर ख्रीस्तीय आदिवासी लोगों का बहुमत समर्थन प्राप्त है। यह दुःख की बात है कि उन्हें झूठे वादे देकर फंसाया गया है और स्थिति वहुत ही गंभीर हो गई है।

सिमडेगा के धर्माध्यक्ष विनसेंट बारवा आदिवासियों के लिए बने भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय कार्यालय के अध्यक्ष ने कहा कि सभी आदिवासी राज्यों में हमारे लोग पलायन और विस्थापन का सामना कर रहे हैं।

धर्माध्यक्षों ने निर्णय लिया है कि प्रत्येक धर्मप्रांत में एक पुरोहित और एक लोकधर्मी की नियुक्ति की जाए जो जागरुकता दल से जुड़ कर पूरे समय आदिवासी मुद्दों पर सांख्यिकी और डेटा इकट्ठा करने और स्थानीय लोगों के साथ बातचीत और नेटवर्क के लिए काम करेंगे।

खुँटी के धर्माध्यक्ष ने कहा कि आदिवासियों को चुनाव में जीतने के लिए सभी ख्रीस्तीयों और गैर-ख्रीस्तीयों को एक जुट हो जाना है।" यदि हम सभी ईसाई संप्रदायों के बीच एक पुल का निर्माण कर सकते हैं तो चुनाव का परिणाम अलग हो सकता है। हम अपने लोगों की भलाई के लिए एकजुट होना चाहिए वरना हमारी स्थिति नहीं बदलेगी।








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