2017-02-25 15:48:00

करुणा की संस्कृति को प्रोत्साहन दें, संत पापा


वाटिकन सिटी, शनिवार, 25 फरवरी 2017 (वीआर सेदोक): ″मैं प्रोत्साहन देता हूँ कि आप कलीसिया की सेवा करें जो प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर के अनोखे सामीप्य, उनके साहचर्य एवं उनके प्रेम का एहसास करने का अवसर देता है जिसको उन्होंने हमें येसु ख्रीस्त के माध्यम से, उनके जीवित वचन में प्रदान किया हैं क्योंकि हम अपनी क्षमताओं को सभी की भलाई तथा आम घर की देखभाल हेतु प्रयोग करते हैं।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 25 फरवरी को, फ्राँसीसी स्वयंसेवक एजेंसी ″सहयोग के लिए कैथोलिक प्रतिनिधिमंडल″की स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर रोम की तीर्थयात्रा पर आये सदस्यों से मुलाकात करते हुए कही। 

संत पापा ने ″सहयोग के लिए कैथोलिक प्रतिनिधिमंडल″ के गठन की सार्थकता बतलाते हुए धन्य संत पापा पौल षष्ठम के प्रेरितिक पत्र ‘पोपुलोरूम प्रोग्रेसियो’ के हवाले से कहा कि विकास को मात्र आर्थिक वृद्धि तक सीमित नहीं करना है। सच्चे विकास के लिए इसे समग्र होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति के विकास को सम्पूर्ण रूप से बढ़ावा देना चाहिए। वैश्विक एकात्मता को अधिक से अधिक प्रभावशाली होना चाहिए ताकि वह लोगों को अपने लक्ष्य के निर्माता बनने में मदद कर सके। 

उन्होंने कहा कि इसी विचार ने फ्राँस की कलीसिया को इस संगठन के निर्माण हेतु प्रेरित किया है जिसके माध्यम से महान मिशनरी अपने उदार सहयोग दे रहे हैं। इसके द्वारा वे स्थानीय कलीसियाओं में लोगों के बीच गरीबी का विरोध कर एवं अधिक न्याय तथा भाईचारा पूर्ण विश्व के लिए कार्य करते हुए सच्चे सहयोग को बढावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहाँ मिशनरी भेजे गये हैं वहाँ वे नागरिक अधिकारियों एवं भली इच्छा रखने वाले सभी के साथ सहयोग से कार्य कर रहे हैं। और साथ ही वास्तविक पारिस्थितिक परिवर्तन के लिए अपना योगदान दे रहे हैं जो हर व्यक्ति की गरिमा को पहचानता है तथा सार्वजनिक भलाई को प्रोत्साहन देता है।

संत पापा ने सभी सदस्यों को दया की संस्कृति में बढ़ने का प्रोत्साहन दिया जो दूसरे लोगों के साथ मिलने की पुनः खोज पर आधारित है एक ऐसी संस्कृति जिसमें कोई भी, किसी को अलग रूप में नहीं देखता अथवा दूसरों के कष्टों को देखकर भाग नहीं जाता।

उन्होंने उन्हें भाईचारे की राह पर आगे बढ़ने एवं लोगों के बीच सेतु के निर्माण हेतु नहीं डरने की सलाह दी।

संत पापा ने आशा व्यक्ति की कि उनके प्रयासों, योजनाओं तथा कार्यों द्वारा कलीसिया पीड़ित, असुरक्षित, हाशिये पर जीवन यापन करने वाले लोगों एवं बहिष्कृत लोगों के लिए निकट पड़ोसी बन सके। उन्होंने कहा कि वे कलीसिया की सेवा में समर्पित हों। उन्होंने प्रार्थना की कि प्रभु उन्हें मानव परिवार में मुलाकात की संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु सहायता दे। 








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