2017-02-22 15:43:00

दुनियादारी के प्रलोभन के खिलाफ पवित्र शर्मींदगी


वाटिकन सिटी, बुधवार 22 फरवरी 2017 (सेदोक) : संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 21 फरवरी के वाटिकन के प्रेरितिक निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में प्रातःकालीन ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान किया।

संत पापा ने पहले पाठ पर चिंतन करते हुए कहा कि  "हम सभी को परीक्षा से होकर गुजरना होगा।" जो कोई प्रभु की सेवा करना चाहता है वह परीक्षा के लिए तैयार रहे। सुसमाचार में येसु अपने चेलों को अपना ही मृत्यु के बारे में बताते हैं। चेले समझ नहीं पा रहे थे कि क्यों येसु ने उन्हें अपनी मृत्यु के बारे बताया, पर चेले डर के मारे उनसे पूछ न पाये। संत पापा ने कहा कि यही है अपना मिशन पूरा नहीं करने का प्रलोभन। यहां तक कि यीशु को भी इस प्रलोभन का सामना करना पड़ा।

सुसमाचार में भी हम महत्वाकांक्षा के प्रलोभन को पाते हैं। रास्ते में चेलों के बीच बहस चल रही थी कि अपने लोगों के बीच कौन बड़ा है? येसु द्वारा बहस के बारे पूछे जाने पर वे सब चुप हो गये। संत पापा कहते हैं कि वे सब चुपचाप हो गये क्योंकि वे अपने बहस के लिए शर्मिंदा हैं।

संत पापा ने कहा कि वे भले लोग थे जो प्रभु का अनुशरण करना और उनकी सेवा करना चाहते थे। लेकिन उन्हें पता नहीं था कि प्रभु की सेवा करना इतना आसान नहीं था। संत पापा ने पल्ली का उदाहरण देते हुए कहा कि कभी कभी पल्ली में किसी समुदाय का प्रधान या अध्यक्ष बनने के लिए झगड़ा होता है। कभी कभी दूसरे व्यक्ति के बारे बुरी बातें फैलाकर स्वयं उंचे ओहदे पर पहुचना चाहते हैं और यही पाप की श्रृंखला है।

संत पापा ने अन्य उदाहरण देते हुए कहा कि कभी कभी पल्लियों में हम पुरोहित निर्लज होकर कहते हैं कि मुझे वो पल्ली चाहिए.... पर प्रभु यहाँ उपस्थित हैं... लेकिन मैं उस पल्ली में जाना चाहता हूँ... और किसी पर दबाव डालते या किसी और तरीके से प्रभावित करने की कोशिष करते हैं। यह प्रभु का मार्ग नहीं है यह महत्वकांक्षा का मार्ग है यह दुनियाई मार्ग है। हम धर्माध्यक्ष भी कभीकभी दुनियाई प्रलोभन में पड़ जाते हैं।

इसलिए, संत पापा फ्राँसिस ने उपस्थित विशवासियों को ऐसी परिस्थिति में ईश्वर से शर्मींदगी की कृपा माँगने का आह्वान किया।

दुनियादारी के प्रलोभन के खिलाफ पवित्र शर्मींदगीः ‘हम अयोग्य सेवक हैं’।

येसु ने दुनियादारी तर्क को पलटते हुए कहा कि जो सबसे बड़ा बनना चाहता है वह सबका सेवक बने। येसु एक बच्चे को सामने लाकर कहते हैं कि जो भी मेरे नाम में एक बच्चे को स्वीकार करता है वह मुझे स्वीकार करता है। और जो मुझे स्वीकार करता है वह मुझे नहीं वरन उसे स्वीकार करता है जिसने मुझे भेजा है।

संत पाप ने भक्त समुदाय से कलीसिया के लिए प्रार्थना करने को कहा जिससे कि हम सभी महत्वाकांक्षा के प्रलोभन तथा दुनियादारी के प्रलोभन से बचे रहें।








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