2017-02-16 16:22:00

ईश्वर हमें युद्धविराम की घोषणा करने की कृपा प्रदान करे


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 16 फरवरी 2017 (वीआर सेदोक): ″युद्ध की शुरूआत व्यक्ति के हृदय में होता है, यही कारण है कि हम सभी शांति की रक्षा करने हेतु उत्तरदायी हैं।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग प्रवचन में कही।

संत पापा ने उन लोगों की पीड़ा पर गौर किया जो सत्ताधारियों के युद्ध आदेश एवं हथियार तस्करों के कारण व्याकुल हैं।

प्रातःकालीन ख्रीस्तयाग प्रवचन में संत पापा ने उत्पति ग्रंथ से लिए गये पाठ के तीन बिन्दुओं: कपोत, इंद्रधनुष तथा व्यवस्थान पर चिंतन किया।

नूह ने जलप्रलाय के बाद एक कपोत छोड़ा जो अपनी चोंच पर जैतून की टहनी लेकर लौटी। यह जलप्रलाय के बाद ईश्वर द्वारा दिया गया शांति का प्रतीक था। संत पापा ने गौर किया कि कपोत एवं इंद्रधनुष नाज़ुक हैं। इंद्रधनुष आँधी के पश्चात् एक सुन्दर दृश्य है किन्तु बाद में बादल आकर उसे ढक लेता है। कपोत भी कमजोर है संत पापा ने याद किया कि दो वर्षों पहले, रविवारीय देवदूत प्रार्थना के दौरान बच्चों द्वारा मुक्त किये गये दो कपोत को एक सीगुल पक्षी ने मार डाला था। 

संत पापा ने कहा कि ईश्वर हमारे साथ मजबूत संबंध स्थापित करते हैं किन्तु जब हम उसे स्वीकार करते हैं हम उसे कमजोर स्थिति में प्राप्त करते हैं। हमारे साथ वे शांति स्थापित करते हैं किन्तु इसे बनाये रखना आसान नहीं हैं। यह प्रतिदिन का कर्तव्य है क्योंकि हमारे अंदर आदि पाप, काईन की ईर्ष्या, जलन, लालच और प्रभुत्व की चाह, का बीज अभी भी है जो युद्ध कराता है। अतः ईश्वर तथा मनुष्य के बीत व्यवस्थान की बात करते हुए संत पापा ने गौर किया कि इसमें रक्त का हवाला दिया जाता है। हम सभी अपने भाई बहनों के रक्षक हैं अतः ईश्वर हम से इसका हिसाब मांगेंगे।

संत पापा ने कहा कि दुनिया में रक्तपात है। विश्व आज युद्ध में डूब चुका है। कई भाई बहनें मर रहे हैं, यहाँ तक कि निर्दोष भी क्योंकि शक्तिशालियों को उनकी इच्छा अनुसार जमीन का टुकड़ा चाहिए, उन्हें अधिक शक्ति चाहिए अथवा वे शस्त्र व्यापार द्वारा अधिक धन अर्जित करना चाहते हैं। संत पापा ने हाबिल की हत्या के बाद काईन के लिए प्रभु की वाणी को लेते हुए कहा कि प्रभु की वाणी स्पष्ट है कि वे युद्ध के कारण पीड़ित हमारे भाई एवं बहनों के रक्त का हिसाब लेंगे।

संत पापा ने विश्वासियों से चिंतन करने का अह्वान करते हुए कहा कि इंद्रधनुष सदा हमारा मार्गदर्शन करे, अधिक रक्तपात न हो, इसके लिए हमें क्या करना? उन्होंने सभी को जोर देते हुए कहा कि इसके लिए हम सभी उत्तरदायी हैं। शांति हेतु प्रार्थना औपचारिक नहीं है और न ही शांति के लिए कार्य करना प्रचलित नियम मात्र। उन्होंने कहा कि युद्ध हमारे हृदय में शुरू होता है तथा हमारे घर-परिवार, मित्रों एवं पूरे विश्व में फैलता है। मैं अपने हृदय में क्या अनुभव करता हूँ? क्या मैं शांति को नष्ट करना चाहता हूँ? 

संत पापा ने युद्ध का मूल कारण ईर्ष्या, जलन, लालच आदि बतलाया। युद्ध का जन्म हमारे हृदय में ही होता है अतः यहाँ सवाल है कि मैं शांति को अपने हृदय, आत्मा और परिवार में किस तरह बनाये रखने का प्रयास करता हूँ। शांति को न केवल संजोकर रखना है किन्तु प्रत्येक दिन इसके लिए कार्य करना है ताकि पूरे विश्व में शांति स्थापित हो सके।   

संत पापा ने प्रार्थना की कि ईश्वर हमें कृपा दे ताकि हम घोषणा कर सकें, ″युद्ध समाप्त हो चुका है, मेरे हृदय में युद्ध समाप्त हो चुका है, युद्ध मेरे परिवार में समाप्त हो चुका है इस प्रकार, कपोत, इंद्रधनुष तथा व्यवस्थान मजबूत होगा।″








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