वाटिकन सिटी, 16 फरवरी सन् 2017
दानिएल तथा उनके चार साथी एलियस, इसायस, जेरेमी तथा सामुएल मिस्र के निवासी थे जो सम्राट माक्सीमुस के शासन काल के दौरान अत्याचार के शिकार बने ख्रीस्तीयों की मदद किया करते थे। विशेष रूप से, उन सज़ायाफ्ता ख्रीस्तीयों को सान्तवना देने जाया करते थे जिन्हें चिलिचिया की खदानों में कठोर श्रम के लिये छोड़ दिया गया था। फिलिस्तीन में कैसरिया के फटाक पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था तथा ख्रीस्तीय धर्मानुयायी होने के आरोप में तत्कालीन राज्यपाल फिरमिलियान के समक्ष पेश किया गया था। सभी को याचनाएं दी गई थीं तथा बाद में सिर को धड़ से अलग कर मार डाला गया था। जब सन्त पामफिलुस के नौकर पोरफिरी ने उनके शवों को ले जाकर दफनाने की अनुमति मांगी तब उसे भी यातनाएँ देकर मार डाला गया था। सन्त दानिएल सहित इन सभी शहीदों का स्मृति दिवस 16 फरवरी को मनाया जाता है।
चिन्तनः " धर्मियों का मार्ग प्रभात के प्रकाश जैसा है, जो दोपहर तक क्रमशः बढ़ता जाता है; किन्तु विधर्मियों का मार्ग अन्धकारमय है। उन्हें पता नहीं कि वे किस चीज से ठोकर खायेंगे (सूक्ति ग्रन्थ 4, 18-19)।
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