2017-02-08 16:34:00

दीवार नहीं पर पुलों की मांग हेतु मुसलमानों और ख्रीस्तीयों की एकजुटता


वाटिकन रेडियो, बुधवार, 8 फरवरी 2017 (वीआर सेदोक) : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवासियों के आगमन पर प्रतिबंध के आदेश की व्यापक रूप से निंदा की गई है। हालांकि सरकार की नीति पर अमेरिका जनता की राय बंट गई है।

अन्य प्रतिबंधो में 25 जनवरी को सात मुख्य रूप से मुस्लिम देशों के नागरिकों पर अमेरिका में प्रवेश करने से रोक लगाई गई। राष्ट्रपति ट्रम्प ने एक तरफ सब शरणार्थियों पर अस्थायी प्रतिबंध लगाया है तो दूसरी तरफ धार्मिक अल्पसंख्यक शरणार्थियों की प्राथमिकता का दावा भी किया है( मुख्य रूप से मुस्लिम देशों में ख्रीस्तीयों को प्राथमिकता)।

विश्वास पर आधारित संगठनों और मानव अधिकार समूहों ने कार्यकारी आदेश पर फिर से एक बार विचार करने की मांग की है। उन्होंने सरकारों से आग्रह किया है कि वे शरणार्थियों के प्रति अपने हिस्से की जिम्मेदारी को लें और जबरन विस्थापन के संरचनात्मक कारणों का पता लगायें।

उन संगठनों में येसु समाजी शरणार्थी सेवा (जेआरएस) और इतालवी इस्लामी धार्मिक समुदाय (कोरेइस) ने भी दीवार नहीं पर पुलों की मांग की है।

वाटिकन रेडियो की लिंडा ने कोरेइस के अध्यक्ष इमाम याहया सरजो याहे पाल्लाविचिनी और जेआरएस  के वकील अमाया वालकारसेल से उनकी अपील के बारे में बात चीत की।

इमाम याहया ने कहा कि पिछले 12 महीनों से अधिक समय से येसु समाजी शरणार्थी सेवा और इतालवी इस्लामी धार्मिक समुदाय के बीच आपसी सहयोग की भावना है हम ख्रीस्तीय और मुस्लिम मूल्यों को साझा करते हैं अतःऐसी बातों पर संवेदनशीलता आम बात है। दुर्भाग्य से राष्ट्रपति ट्रम्प के बयान के माध्यम से, अमेरिका में जो हो रहा है वह हमारे अंतरधार्मिक भ्रातृत्व को और मजबूत करने हेतु बढ़ावा दे रहा है।

अमाया वालकारसेल ने कहा कि येसु समाजी शरणार्थी सेवा, इतालवी इस्लामी धार्मिक समुदाय के आपसी एकजुटता से खुश है । ख्रीस्तीय और मुसलमान धार्मिक परंपराओं के जीवन को जीते हैं जो ईश्वर के आतिथ्य में और निर्वासन के अनुभव में निहित हैं। विस्थापित व्यक्तियों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार का हमारी धार्मिक परंपराओं में कोई जगह नहीं है।  सभी लोगों को आतिथ्य और उदार संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए।








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