2017-01-05 17:07:00

काथलिक अगुवों पर धर्म परिवर्तन का दोषारोपण


नई दिल्ली, गुरुवार, 05 जनवरी 2017 (ऊकान न्युज) राष्ट्रीय स्वयं सेवा संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने 03 जनवरी को गुजरात के नभसारी जिला के अन्तर्गत वासदा आदिवासी बहुल क्षेत्र में एक सम्मेलन के दौरान ख्रीस्तीय मिशनिरियों पर धर्म परिवर्तन के दोष लगाये।

उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीय मिशनरी आदिवासियों का धर्म परिवर्तन करने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि सभी भारतीय हिन्दू हैं और उन्हें हिन्दू संस्कृति को स्वीकार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वाटिकन धर्म परिवर्तन के संदर्भ में एशिया को निशान बनाये हुए है। “वे सोचते हैं कि वे केवल भारत में ही धर्म परिवर्तन करा सकते हैं।”

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय कार्यलय के सचिव फादर स्तानिलास तिर्की ने इन सारे आरोप को खारिज करते हुए कहा कि यह आने वाले दिनों में देश के पाँच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर, उत्तराखंड और गोवा में होने वाले चुनावी प्रचार का एक तरीका है जहाँ वे ग़रीबों जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने में लगे हैं। भाजापा धर्म परिवर्तन के मुद्दे उछाल कर लोगों को गुमराह करती और वोट जमा करती है।  उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान लोगों को अपने धर्म का चुनाव करने की स्वतंत्रता प्रदान करती हैं और आदिवासी अपने स्वतंत्र विचारों के मुताबिक अपनी इच्छा से धर्म का चुनाव करते हैं।

दिल्ली के जावहरलाल नेहरु विश्वविद्यलाय में शोध कर रहे फादर भिनसेंट एक्का ने ऊका समाचार को बतलाया कि मध्य भारत में कई लोगों ने ख्रीस्तीय धर्म को स्वीकार किया है “लेकिन कभी किसी को जबरदस्ती या बहला-फुसला कर धर्म परिवर्तन नहीं कराया गया है।” उन्होंने कहा कि धर्म परिर्वतन के मामले पर हिन्दू धर्म पर दोषारोपण किया जा सकता है क्योंकि यह ऊँच-नीच और जात-पात पर आधारित है, ऐसी स्थिति में लोग स्वतः ही उस धर्म की ओर अभिमुख होते जिसे वे अपने जीवन में अधिक अर्थपूर्ण और संतोषप्रद पाते हैं।

भारतीय सामाजिक संस्थान के सह संचालक फादर डेजिल फर्नाडीस ने कहा कि भागवत की टिप्पणी देश को एक हिन्दू राष्ट्र बनाने का अंग है। “वे धर्म परिवर्तन की बातों को उछालते हुए लोगों का ध्यान मुख्य मुद्दों से भटकाने का प्रयास करते और अपने लिए मत संग्रह करने की कोशिश करते हैं।

 








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