2016-11-21 16:07:00

संत पापा के विश्व पत्र ‘मिसेरिकोरदिया एत मिसेरा’ का प्रकाशित


वाटिकन सिटी, सोमवार, 21 नवम्बर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने करुणा के जयन्ती वर्ष की समाप्ति पर ‘मिसेरिकोरदिया एत मिसेरा’ नामक प्रेरितिक पत्र को प्रकाशित किया।

पत्र में उन्होंने इस बात को स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि यद्यपि करुणा की असाधारण जयन्ती समाप्त हो चुकी है, हम अब भी करुणा की जयन्ती के काल में हैं।

नवीन प्रेरितिक पत्र ″मिसेरिकोरदिया एत मिसेरा″ का शीर्षक संत योहन रचित सुसमाचार के 8वें अध्याय की उस घटना से संबद्ध है जहाँ येसु एवं व्यभिचार में पकड़ी गयी स्त्री के मुलाकात का जिक्र है। सुसमाचार के इस पाठ की व्याख्या करते हुए संत अगस्टीन कहते हैं, ″येसु एवं स्त्री, दोनों की मुलाकात, करुणा के साथ दुःख का मिलन था।″ संत पापा ने कहा कि इस पाठ की शिक्षा न केवल करुणा की असाधारण जयन्ती के समापन पर प्रकाश डालता है किन्तु उन रास्तों की ओर भी इशारा करता है जिधर हमें भविष्य में आगे बढ़ना है।  

उन्होंने कहा है कि करुणा के महान वरदानों के प्रकाश में जिनको हमने जयन्ती के दौरान प्राप्त किया है, हमारा प्रथम प्रत्युत्तर है उनके उपहारों के लिए प्रभु को धन्यवाद देना बल्कि आगे बढ़ते हुए हमें करुणा को मनाना जारी रखना चाहिए, खासकर, कलीसिया के धर्मविधिक समारोहों में। ख्रीस्तयाग तथा अन्य संस्कारों के अनुष्ठान द्वारा, विशेषकर, मेल-मिलाप एवं रोगियों के मलन द्वारा जो चंगाई के संस्कार हैं।

संत पापा ने करुणा को जारी रखने के लिए कई विकल्प भी प्रस्तुत किये हैं। उदाहरणार्थ, ग़रीबों के लिए विश्व दिवस की घोषणा एवं सुसमाचार के प्रचार में अधिक संलग्न होना आदि। संत पापा ने पत्र में विश्वासियों से अह्वान किया है कि वे मेल-मिलाप के संस्कार को ख्रीस्तीय जीवन के केंद्र में रखें।

उन्होंने पवित्र वर्ष में कई पहल शुरू किये हैं उन्हें आगे बढ़ाये जाने की सलाह दी है जैसा कि करुणा के मिशनरियों के कार्य का जारी रखना, सोसाईटी ऑफ संत पीयुस 10वें के पुरोहितों को पाप स्वीकार संस्कार के अनुष्ठान की अनुमति तथा सभी पुरोहितों को गर्भपात के पाप की क्षमा हेतु सामर्थ्य। साथ ही, गर्भपात के पाप को जघन्य अपराध बतलाते हुए कहा है, मैं अपनी पूरी शक्ति से कहता हूँ कि गर्भपात एक गंभीर पाप है क्योंकि यह एक निर्दोष के जीवन का अन्त कर देता है किन्तु मैं यह भी बतलाना चाहता हूँ कि करुणावान ईश्वर के लिए कोई भी ऐसा पाप नहीं है जो उन्हें पिता से मेल-मिलाप करने हेतु पश्चाताप करने वाले हृदय के आँसू पोंछने से रोक सके।″

उन्होंने कहा यद्यपि जयन्ती समाप्त हो चुका है तथापि हमारे हृदय में करुणा के द्वार खुले रहें। उन्होंने विश्वासियों से करुणा के कार्यों को जारी रखने का परामर्श दिया तथा परम्परागत दया के कार्यों को पूरा करने के लिए नये रास्तों की खोज करने का अह्वान दिया एवं कहा कि दया के शारीरिक एवं आध्यात्मिक कार्य, हमारे दिनों में भी जारी रहे और सामाजिक मूल्य के रूप में इसका विस्तार हो। इस दृष्टिकोण से संत पापा ने कहा कि कलीसिया को जागरूक रहना होगा एवं मानव प्रतिष्ठा के चेहरे पर आक्रमण के विरूद्ध अपनी एकात्मता प्रदर्शित करनी होगी।

संत पापा ने प्रेरितिक पत्र में कहा है कि यह करुणा का समय है। करूणा का समय क्योंकि कोई भी पापी क्षमा मांगने से न थके तथा पिता की बाहों में सभी स्वीकार किये जाएँ।

अंततः भविष्य के लिए अंतिम प्रयास के रूप में संत पापा ने पूरी कलीसिया से मांग की है कि कलीसिया की पूजन पद्धति पंचांग अनुसार अंतिम दूसरे सप्ताह में ग़रीबों के लिए विश्व दिवस मनाया जाएँ। 








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