2016-11-08 13:08:00

स्कूलों पर नहीं थोपा जा सकता योग, सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली, मंगलवार, 8 नवम्बर 2016 (ऊका समाचार): भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि स्कूलों पर बलात योग अभ्यास नहीं थोपा जा सकता। योग को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने हेतु निर्देश देने के लिये की गई एक जनहित याचिका पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही।  

जनहित याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर, न्यायकर्ता डी.वाय. चन्द्रचुग और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि अदालत का दरवाज़ा खटखटाने के बजाय वह योग अभ्यास के लिए लोगों को राजी करे।

याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने संविधान की धारा 21-ए के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के अनुकूल, पहली से आठवी कक्षा तक के छात्रों के लिये, 'योग और स्वास्थ्य शिक्षा'  की मानक पाठ्यपुस्तकें प्रदान करने हेतु मानव संसाधन विकास मंत्रालय, शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद तथा  राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से दिशानिर्देश की मांग की थी।

याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय के परामर्शदाता एवं वकील क्रिशनानी ने अदालत से अपील की थी कि वह याचिका को स्वीकार कर ले जिसपर न्यायमूर्ति ठाकुर ने प्रश्न किया कि क्या वे इस प्रदूषित वातावरण में भी योग अभ्यास कर सकते थे तथा यह कि अन्तिम आसन उन्होंने कब किया था? इस प्रश्न का सन्तोषजनक उत्तर न मिलने पर न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा, “हम आपके योग ज्ञान से प्रभावित नहीं हुए हैं। श्री क्रिशनानी, यह दर्शाता है कि आप योग नहीं करते हैं अन्यथा आपको याद रहता कि आपने अन्तिम बार कौनसा आसन किया था।“   

ग़ौरतलब है कि भारतीय सरकार प्रतिवर्ष अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों पर योग अभ्यास के लिये किसी प्रकार का दबाव नहीं डाला जा सकता है उन्हें ख़ुद योग के लिये प्रेरित होना चाहिये।

(Juliet Genevive Christopher)








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