2016-10-24 14:11:00

घृणा की नदी ईश्वर की करुणा के सागर द्वारा जीत लिया गया है


वाटिकन सिटी, सोमवार, 24 अक्तूबर 2016 (वीआर सेदोक): ″हम कठिन दौर से होकर गुजर रहे हैं जब विश्वयुद्ध टुकड़ों में हो रहा है किन्तु घृणा तथा हिंसा का बाढ़ करुणा के सागर को कुछ नहीं कर सकता जिसने पूरे विश्व को ढक लिया है।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने बोयनोस आएरेस में अपने मित्र एवं पाप मोचक फा. लुईस ड्री की किताब ″क्षमा करने से न डरें″ की प्रस्तावना में लिखी।

किताब को पूरा करने में अंद्रेया तोरनीयेल्ली तथा अलवेर मेतालस का सहयोग है जिसका विमोचन राईएरी के द्वारा किया जाएगा।  

संत पापा ने फा. लुईस ड्री के साथ बोयनोस आएरेस में पाप स्वीकार संस्कार में व्यतीत समय की याद की।  

संत पापा ने प्रस्तावना में लिखा कि क्षमाशीलता का मनोभाव पहले की अपेक्षा आज अधिक आवश्यक है क्योंकि पश्चातापी चाहे वह सामान्य विश्वासी हो अथवा कोई विशेष परिस्थिति से प्रेरित होकर आकस्मिक रूप से या अपनी पीड़ा से छुटकारा पाने आया हो, हमें उसमें करुणावान ईश्वर का आलिंगन देखना चाहिए क्योंकि ईश्वर हमारे आगे चलते तथा हमारा स्वागत करने का इंतजार करते हैं। संत पापा ने कहा कि फा. लुईस के कंफ़ेसियनल पर पिता का उड़ाव पुत्र से आलिंगन का चित्र इत्तिफ़ाक़ से चित्रित नहीं है जिसमें एक स्त्री और एक पुरूष के हाथ को दर्शाया गया है। करुणा में माता और पिता दोनों का प्रेम होता है जो अपनी रचना की दयनीय स्थिति से द्रवित हो जाते हैं। आलिंगन एक पिता के महान निष्ठा पूर्ण व्यवहार का प्रतीक है जो अपने बच्चों को सदा समर्थन देता, माफ करता तथा उसे  सही रास्ते पर लगाता है अतः ईश्वर क्षमा नहीं करेंगे सोचकर हमें नहीं डरना चाहिए।

फा. लुईस के अनुसार करुणा अहम का तर्क है क्योंकि यह स्वीकार करता है कि ″मैं″ नहीं किन्तु ″दूसरा″ इस संसार का स्वामी है। ईश्वर की दया को लोगों के लिए स्वीकार करने के द्वारा एवं उनके आचरण का अनुसरण करते हुए वे सामूहिक जीवन में भी लाभ का अनुभव करते हैं क्योंकि करुणा पूर्ण रूप से एक सामाजिक मनोभाव है। संत पापा ने इस बात को पुनः स्पष्ट किया कि हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब विश्वयुद्ध टुकड़ों में चल रहा है। मित्रता का प्रत्येक चिन्ह, हटाया गया अवरोध, फैले हाथ, मेल-मिलाप, यद्यपि समाचार में शामिल नहीं किये जाते तथापि परिवार से शुरू होकर राष्ट्रों में संबंध स्थापित करते हैं। घृणा की नदी के विपरीत करुणा के सागर में हम गोता लगायें एवं पुनरुद्धार होने दें।








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