2016-10-19 11:41:00

परमाणु निरस्त्रीकरण एवं निर्धनता के उन्मूलन का परमधर्मपीठ ने किया आह्वान


वाटिकन सिटी, बुधवार, 19 अक्टूबर 2016 (सेदोक): परमाणु युग के आरम्भ से ही परमधर्मपीठ परमाणु अस्त्रों पर पूर्ण प्रतिबन्ध का आह्वान करती रही है। यह बात वाटिकन के वरिष्ठ धर्माधिकारी तथा संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष बेरनारदीतो आऊज़ा ने कही।

न्यू यॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में, सोमवार को, आम सभा के 71 वें सत्र में बोलते हुए महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने स्मरण दिलाया कि जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी पर बम्बारी के उपरान्त तत्कालीन सन्त पापा पियुस 12 वें ने परमाणु हथियारों के अनियंत्रित एवं अन्धाधुन्ध परिणामों के प्रति ध्यान आकर्षित कराया था। परमाणु युद्ध के प्रभावी बहिष्कार की मांग करते हुए उन्होंने हथियारों की दौड़ को परस्पर आतंक का एक महंगा सम्बन्ध निरूपित किया था।

महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने कहा कि इसी प्रकार सन्त पापा फ्राँसिस भी परमाणु हथियारों के प्रतिबन्ध पर बल देते रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका प्रतिनिधिमण्डल सन्त पापा फ्राँसिस के इस विश्वास की पुनरावृत्ति करना चाहता है कि "मानव मन में व्याप्त शांति एवं भ्रातृत्व की चाह तब ही फलप्रद हो सकती है जब जनकल्याण के हित में परमाणु अस्त्रों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लग सके।"  

इसी बीच, मंगलवार को महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने आम सभा के 71 वें सत्र में ही निर्धनता के उन्मूलन विषय पर सदस्य राष्ट्रों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि हालांकि, विश्व में निर्धनता को कम करने के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ की एजन्सियों ने सराहनीय कार्य किये हैं तथापि, आज भी विश्व बैंक द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार विश्व के प्रतिशत व्यक्ति निर्धनता रेखा के नीचे जीवन यापन को बाध्य हैं।

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि निर्धनता को कम करने में आर्थिक विकास से अधिक मानव के अखण्ड विकास पर ध्यान देना कारगर सिद्ध हुआ है। उन्होंने कहा कि सन्त पापा पौल षष्टम ने सन् 60 के दशक में मानव के अखण्ड विकास का मार्ग सुझाया था जो निर्धनता को कम करने तथा मानव मर्यादा को प्रतिष्ठित करने में प्रभावशाली सिद्ध हुआ है। उन्होंने कहा, "मानव व्यक्ति को विकास का केन्द्र बनाकर विकास नीतियों को बहुपक्षीय बनाया जा सकता है क्योंकि मानव सामाजिक, राजनैतिक एवं आध्यात्मिक प्राणी है, वह केवल आर्थिक उत्पादक एवं उपभोक्ता नहीं है।"








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