वाटिकन सिटी, सोमवार, 26 सितम्बर 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 25 सितम्बर को संत प्रेत्रुस के प्रांगण में करुणा की विशेष जयंती वर्ष के उपलक्ष में धर्मशिक्षकों और धर्मप्रचारकों हेतु जयंती मिस्सा बलिदान अर्पित किया।
अपने मिस्सा बलिदान के प्रवचन में संत पापा ने कहा कि आज के द्वितीय पाठ में संत पौलुस तिमथी को एक सुझाव देते हैं जो उनके हृदय के अति करीब है। वह उसे कहते हैं “कि प्रभु ईसा मसीह की अभिव्यक्ति के दिन तक अपना धर्म निष्कलंक तथा निर्दोष बनाये रखो।” (1 ति.6.14) इस तरह वे हम सभों से भी यही अनुरोध करते हैं कि हम अपने विश्वास में सुदृढ़ रहने की अवश्य बात पर दृढ़ बने रहें। विश्वास की यह मुख्य बात हमारे प्रभु येसु के पुनरुत्थान की घोषणा हैः येसु मृतककों में जी उठे हैं, वे हमें प्रेम करते हैं और उन्होंने हमारे प्रेम के कारण अपने को अर्पित कर दिया है। वे जीवित और सक्रिय हैं जो हमारे निकट रहते और प्रतिदिन हमारी प्रतीक्षा करते हैं इस बात को हमें कभी नहीं भूलना है। धर्म शिक्षकों और धर्मप्रचारकों के इस जयंती दिवस में हमें विश्वास के इसी संदेश को अपने दिल का केन्द्रबिन्दु बनाने की जरूरत है। इस तथ्य के अलावे और कोई भी दूसरी बात महत्वपूर्ण नहीं है। विश्वास के इस मूल आधार पर बाकी सारी चीजें जुड़ती और महत्वपूर्ण होती हैं और यदि इस बात को पृथक कर दिया जाये तो अन्य सारी चीजें व्यर्थ हो जाती हैं। हम सभी अपने विश्वास में येसु के प्रेम को नवीनतम रुप में जीवन हेतु बुलाये गये हैं। संत पापा ने कहा कि “हम जैसे भी हैं येसु सचमुच में हमें प्रेम करते हैं। अपने जीवन के निराशा भरे क्षणों, अपने जीवन के दुःखों के बावजूद यदि हम उन्हें अपने जीवन में एक स्थान देते, उन्हें अपने को प्रेम करने का अवसर देते, तो वे हमें कभी निराश नहीं करते हैं।”
संत पौलुस जिस विषय की चर्चा करते हैं वह नई आज्ञा है, “एक दूसरे को प्रेम करो जैसा कि मैंने तुम्हें किया है।” (यो.15.12) हम प्रेम के द्वारा ईश्वर को संसार में घोषित करते हैं न की किसी सत्य, धार्मिक या नैतिक बात को किसी पर थोपने या किसी को विश्वास दिलाने के द्वारा क्योंकि ईश्वर स्वयं प्रेम हैं। दो व्यक्तियों का आपसी मिलन जहाँ वे अपने जीवन इतिहास और यात्रा को एक दूसरे के साथ साझा करते तो वे ईश्वर को घोषित करते हैं क्योंकि ईश्वर कोई विचार धारा नहीं हैं वरन् वे सजीव हैं जहाँ उनका संदेश साधारण और सच्चे साक्ष्य के रुप एक दूसरे से सुनते को मिलता और आपसी प्रेम और समझ में प्रसारित होता है। संत पापा ने कहा कि हमारी उदासी के क्षणों में हम विश्वास के साथ येसु का साक्ष्य नहीं देते और न ही अपने सुन्दर प्रवचन के द्वारा उन्हें लोगों के बीच प्रसारित करते हैं। ईश्वरीय आशा प्रेम के सुसमाचार को वर्तमान में जीने यहाँ तक कि बिना भयभीत हुए नये रुपों में घोषित करने की मांग करता है।
आज का सुसमाचार हमें प्रेम करने के अर्थ और उसके भी बढ़कर कुछ जोखिमों को कैसे दूर किया जाये इसे समझने में मदद करता है। दृष्टांत में एक धनी आदमी है जो लाजरूस की ओर ध्यान नहीं देता जो कि दयनीय दशा में उसके दरबार में पड़ा है।(लूका.16.20) यह धनी व्यक्ति वास्तव में उसकी कोई बुराई नहीं करता और न ही उसकी आलोचना करता है। लेकिन वह धनी व्यक्ति लाजरूस से भी अधिक एक गंभीर बीमारी से ग्रस्ति हैं जो उसका अंधापन है क्योंकि भोज और मख़मली वस्त्र में खोया वह अपनी दुनिया से दूर नहीं देख पाता है। वह अपने घर के द्वार तक भी नहीं देख सकता है जहाँ लाजरूस पड़ा हुआ है क्योंकि उसका किसी से कोई सरोकार नहीं है। वह अपनी आंखों से नहीं देख सकता क्योंकि उसके हृदय में कोई संवेदना नहीं है क्योंकि उसमें दुनियावी चीजें घर कर गई हैं जिसके कारण उसका हृदय असंवेदनशील हो गया है। यह दुनियादारी संत पापा ने कहा “ब्लैक होल” के समान है जो सारी अच्छी चीजों को निगल जाती है, जो प्रेम को बुझा देती है क्योंकि यह हमें अपने में ही संकुचित कर देती है। यहाँ एक व्यक्ति है जो बहरी रंग रूप को देखता है, दूसरे उसे नहीं दिखते क्योंकि वह उनके प्रति उदासीन है। अपने अंधेपन में वह दूसरों को कटाक्ष भरी नज़रों से देखता है। वह प्रसिद्ध व्यक्तियों, उच्च पदों और दुनिया में वाहवाही की कामना करता जबकि लाजरूस जैसे गरीब दीन दुःखिय़ों जो ईश्वर को प्यारे हैं उन पर उसकी नजरें नहीं जातीं हैं।
लेकिन ईश्वर उन लोगों की चिंता करते हैं जो दुनिया की नज़रों में परित्यक्त और बहिष्कृत हैं। येसु के दृष्टांत में लाजरूस एक नाम है जिसका अर्थ है “ईश्वर सहायता करते हैं”। वे उसे नहीं भूलते बल्कि वे उसका अपने राज्य में आब्राहम के साथ स्वागत करते हैं। धनी व्यक्ति के इस दृष्टांत में धनवान का कोई नाम नहीं है क्योंकि जो केवल अपने लिए जीता है इतिहास में अपना कोई नाम नहीं छोड़ता। संत पापा ने जोर देते हुए कहा कि एक ख्रीस्तीय को इतिहास लिखने की जरूरत है। उसे अपने आप से बाहर निकलना है जिससे वह इतिहास लिख सके। लेकिन जो कोई केवल अपने लिए जीता है वह इतिहास नहीं लिख सकता संत पापा ने कहा। आज की लापरवाही ने खड्डों का निर्माण किया है जिसे हम लांघ नहीं सकते हैं और वर्तमान में हम उदासीनता, स्वार्थ और दुनियादारी की बीमारी में गिरे हुए हैं।
दृष्टांत में एक दूसरी व्याख्या जो उस गुमनाम व्यक्ति के भव्य और दिखावटी जीवन की चर्चा करता है जो मरण उपरान्त भी अपनी ज़रूरतों और अपने ही मांग तक सीमित है। वह सिर्फ अपने बारे ही सोचता और अपनी सहायता की माँग करता है। जबकि लाजरूस अपनी गरीबी में भी कोई शिकायत नहीं करता और न ही उसके मुख से विद्रोह या घृणा के शब्द ही निकलते हैं। यह हमारे लिए एक मूल्यवान शिक्षा है, येसु के सेवक के रुप में हम अपने दिखावे और अपनी महिमा हेतु नहीं और न ही निराश और शिकायतों से भरे होने हेतु बुलाये गये हैं। हम उन उदास नबियों के समान नहीं हैं जो ख़तरों और मुसीबतों की घोषणा करने के बाद खुश होते हैं, हम उन लोगों के समान भी नहीं हैं जो अपने इर्दगिर्द दूसरों पर, समाज, कलीसिया, सभी चीजों और सभी लोगों पर छींटाकशी करते और लोगों में नकारात्मक भाव उत्पन्न करते हुए दुनिया को दूषित करते हैं। ईश्वर के वचनों पर विश्वास करने वाले दयनीय आलोचना के गिरफ्त में नहीं होते।
वे जो येसु की आशा के उद्घोषक हैं वे उनकी खुशी को अपने में वहन करते और ऐसे लोग दूरदर्शी होते हैं जिनके लिए क्षितिज खुला होता है, उन्हें कोई भी बाधा रोक नहीं सकती क्योंकि वे अपनी नजरें दूर तक केन्द्रित किये हुए रहते हैं, वे अपनी तकलीफों और बुराइयों से आगे निकलना जानते हैं। वे अपने पड़ोसियों के प्रति संवेदनशील रहते हैं और उनकी ज़रूरतों का ख्याल रखते हैं। येसु आज हमें दुनिया के लाजरूसों को देखकर विचलित होने को कहते हैं जिससे हमें बिना टालमटोल किये उनकी सेवा तुरन्त कर सकें। हम यह न कहें कि हमारे पास समय नहीं है, मैं कल करुंगा, यह हमारे लिए एक अपराध है। संत पापा ने कहा कि दूसरों की सेवा हेतु दिया गया हमारा समय ईश्वर को प्रेम में दिया गया समय है जो हमारे लिए स्वर्ग में धन संग्रहित करता है जिसे हमें इस दुनिया में सीखना है।
मेरे प्रिय धर्मशिक्षक भाइयो एवं बहनो ईश्वर आप सभों को प्रति दिन नये खुशी से भर दे जिससे आप सर्वप्रथम येसु की मृत्यु और उनके पुनरुत्थान की घोषणा कर सकें जो हमें व्यक्तिगत रुप से प्रेम करते हैं। वे आप सभों के लिए ताकत बनें जिससे आप उनके प्रेम की आज्ञा को दुनिया के अंधेपन और दुनिया की दुःखों में विजय पाते हुए जी सकें और उसे घोषित कर सकें। वे हमें गरीबों के प्रति संवेदनशील बनाये जो हमारे जीवन के महत्वपूर्ण अंग हैं जो सदैव हमारे साथ हैं।
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