2016-09-20 14:56:00

कार्डिनल परोलीन ने शरणार्थी मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन को संबोधित किया


न्यूयोर्क, मंगलवार, 20 सितम्बर 2016 (वीआर सेदोक) : वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो परोलीन ने सोमवार 19 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में दुनिया के नेताओं को शरणार्थियों और विस्थापितों के वैश्विक मुद्दों से निपटने के उद्देश्य से संबोधित किया।

संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में पहली बार इस मुद्दे पर एक दिवसीय बैठक हुई। संयुक्त राष्ट्र के मिशन हेतु वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक और अंतरराष्ट्रीय उदार संगठनों और जिनेवा स्थित  अंतरराष्ट्रीय काथलिक प्रवासन आयोग द्वारा इस बैठक का प्रायोजन किया गया था।

वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो परोलीन ने अपने वक्तव्य में कहा कि इस शिखर सम्मेलन की तैयारी के दौरान हमने शरणार्थियों और विस्थापितों की बड़ी समस्यों का सामना करने के लिए अधिक प्रभावी तरीके और संयुक्त टिकाऊ समाधान की खोज और जिम्मेदारी साझा करने का प्रयास किया है।

हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती मूल कारणों को पहचानते हुए उसपर कार्य करना है जो लाखों लोगों को अपने घरों, अपनी आजीविका, अपने परिवारों और अपना देश छोड़ने को मजबूर करता और अपनी जान खतरे में डालकर सुरक्षा, शांति और बेहतर जीवन की खोज में दूसरे देशों में पनाह लेना पड़ रहा है।  

 कार्डिनल परोलीन ने कहा कि आज के शरणार्थी और प्रवासी संकट का प्रमुख कारण मानव निर्मित है: अर्थात् युद्ध और संघर्ष। चूंकि मानव विकल्प संघर्ष और युद्ध को उत्पन्न करती है अतः यह हमारी शक्ति और जिम्मेदारी के भीतर है कि हम उन मूल कारणों को दूर करें जो लाखों लोगों को शरणार्थी और प्रवासी बनने के लिए मजबूर कर दिया है। परमधर्मपीठ ने  सरकारों और अंतरराष्ट्रीय समुदायों से घृणा, हिंसा और युद्ध को समाप्त करने तथा शांति और सुलह के मार्ग को अपनाने हेतु एक आम प्रतिबद्धता की याचना की है। परमधर्मपीठ का दृढ़ विश्वास है और संत पापा फ्राँसिस भी अक्सर कहते हैं कि खुले प्रश्नों को हल करने का माध्यम कूटनीति और वार्तालाप ही होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि विगत वर्षों में धार्मिक उत्पीड़न विस्थापन का कारण बन गया है। कई रिपोर्टों ने पुष्टि दी है कि ख्रीस्तीय समुदाय को “धार्मिक-जातीय सफाई" के नाम पर सबसे ज्यादा उत्पीड़ित किया गया है। संत पापा फ्राँसिस ने इसे “नरसंहार" कहा है। शरण पाये देशों में भी कुछ शरणार्थियों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि परमधर्मपीठ ने बारंबार हथियारों के निर्माण को सीमित करने और उनकी बिक्री को सख्ती से नियंत्रित करने का आह्वान किया है। हथियारों के किसी भी प्रकार का प्रसार संघर्ष की स्थितियों को बढ़ाता है परिणाम स्वरुप लोग बड़ी संख्या में स्थायी शांति के लिए विस्थापित होते हैं।

अंत में,  परमधर्मपीठ अत्यंत गरीबी और पर्यावरण क्षरण की स्थितियों से भागने वालों की प्रवासियों की दुर्दशा को ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए मजबूर है जिनके लिए विशेष रूप से किसी भी कानूनी संरक्षण की व्यवस्था नहीं है वे मानव तस्करी और मानव गुलामी के शिकार बनते हैं। हमें भी गरीबी और भूख के संरचनात्मक कारणों को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए। पर्यावरण की रक्षा करने के लिए पर्याप्त कदम उठानी चाहिए। परिवारों को सुरक्षा प्रदान करना, गुणवत्ता शिक्षा की व्यवस्था करना, जो मानव और सामाजिक विकास का एक अनिवार्य तत्व है।








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