2016-08-23 14:19:00

सियालकोट में काथलिक अस्पताल द्वारा यक्ष्मा रोगियों का नि:शुल्क उपचार


सियालकोट, मंगलवार, 23 अगस्त2016 (एशिया समाचार) : पंजाब स्थित सियालकोट का बेथानिया अस्पताल गत 52 वर्षों से यक्ष्मा रोगियों की निःशुल्क चिकित्सा दे रही है। लाहौर महाधर्मप्रांत द्वारा संचालित यह अस्पताल पाकिस्तान का एक मात्र काथलिक अस्पताल है।

अस्पताल के कर्मचारी रोगियों की मदद करने और इस बीमारी के साथ जुड़े कलंक को मिटाने में लगे हुए हैं। इस रोग का एक बार पता लग जाने के बाद अक्सर उनके परिवार के लोग रोगियों को अस्पताल में छोड़ देते हैं।

अस्पताल के निदेशक फादर रोबिन बशीर ने एशिया समाचार को बताया कि स्थानीय लोग अभी भी इन रोगियों को अछूत मानते हैं। बीमारी का पता चलते ही उनके कपड़ों और बर्तनों को परिवार के बाकी लोगों से अलग रखा जाता है। परिवारों द्वारा अविवाहित महिलाओं के इलाज को गुप्त रखने का अनुरोध किया जाता है।

फादर ने कहा कि गत वर्ष एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को उपचार करने के लिए अस्पताल में भर्ती किया, बिलों का भुगतान किया और अगले दिन अस्पताल के पते पर तलाक का नोटिस भेज दिया था। यक्ष्मा रोगियों के प्रति भेदभाव के साथ–साथ उनसे नफरत भी किया जाता है।

फादर बशीर और उनकी टीम आसपास के गांवों में तथा स्थानीय लोगों के लिए जागरूकता सेमिनार का आयोजन करते हैं। मरीजों के घरों का दौरा कर परिवार के सदस्यों को रोग के बारे सही जानकारी देते हैं। टीबी आउटरीच कार्यक्रम द्वारा अधिक से अधिक टीबी रोगियों का इलाज करना अस्पताल का एक प्रमुख सेवा है।

एक डिस्पेंसरी के रूप में शुरू किये गये इस अस्पताल में आज 134 बिस्तरों की सुविधाएँ हैं तथा भौतिक चिकित्सा के लिए अलग-अलग विभाग, नर्सिंग स्कूल,  मोटापा निवारक केंद्र और शल्य चिकित्सा विभाग के रूप में विकसित किया गया है।

सियालकोट के काथलिक गिरजाघर के सामने स्थित बेथानिया अस्पताल में हर दिन करीब 200 रोगियों का उपचार किया जाता है। उनमें अधिकांश रोगी मुसलमान हैं।

ताजा आंकड़ों के अनुसार, विश्व स्तर पर टीबी प्रभावित 22 उच्च देशों में पाकिस्तान 6 वें स्थान पर है।

 








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