वाटिकन सिटी, 18 अगस्त सन् 2016:
सन्त हेलेन को हेलेना आऊगुस्ता तथा कॉनस्टेनटीनोपल की हेलेना भी कहा जाता है। महारानी हेलेन कॉनस्टेनटाईन महान की माता थीं। उनका जन्म एशिया माईनर के बिथिनिया में लगभग 246-250 ई. में हुआ था। लगभग 270 ई. में उन्होंने रोमी सेनानायक कॉन्सतानतियुस से विवाह रचा लिया था। हालांकि अपनी पदोन्नति को देखते हुए सन् 289 ई. में कॉनस्तानतियुस ने हेलेन से तलाक लेकर सम्राट माक्सीमिनियुस की सौतेली बेटी थेओदोरा से विवाह रचा लिया था।
मिलवियन पुल की विजय के बाद, सन् 312 ई. में कॉन्सतानतियुस सम्राट बने तथा हेलन को आऊगुस्ता अर्थात् महारानी का सम्मान मिला। उन्होंने पुनः विवाह नहीं किया तथा राजसी ठाठ बाट और राजदरबारों की चहल के पहल के बीच अपना मन निर्धनों की सेवा में लगा दिया। इसके लिये उन्होंने ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन कर लिया। रोम तथा पवित्र भूमि में हेलेन ने कई गिरजाघरों का निर्माण कराया। परित्यक्त लोगों के लिये उन्होंने शरणस्थलों की स्थापना की, क़ैदियों की वे भेंट किया करती तथा साधारण कपड़ों में, सामान्य लोगों के संग मिलकर धर्मविधिक समारोहों में शामिल हुआ करती थीं।
परम्परागत रूप से, हेलेन को प्रभु येसु के असली क्रूस के अवशेष खोज निकालने का श्रेय दिया जाता है। इतिहासकारों के अनुसार पवित्र भूमि की एक तीर्थयात्रा के दौरान उन्होंने असली क्रूस के अवशोषों को खोज निकाला था इसीलिये धर्मविधिक कला में महारानी हेलेन को हाथ में क्रूस लिये दर्शाया गया है। 18 अगस्त, 330 ई. को निकोमेदिया में महारानी हेलेन का निधन हो गया था। सन्त हेलेन का पर्व, 18 अगस्त को, मनाया जाता है।
चिन्तनः सांसारिक माया मोह का परित्याग कर सतत् प्रार्थना द्वारा ईश्वर के साथ सरल सम्बन्ध स्थापित किया जा सकता है।
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