2016-05-23 17:30:00

त्रियेक ईश्वर का महापर्व, समुदाय में खमीर बनने हेतु निमंत्रण


वाटिकन सिटी, सोमवार, 23 मई 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 22 मई को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज, त्रिएक ईश्वर का महापर्व, संत योहन रचित सुसमाचार पाठ येसु द्वारा दिए गये लम्बे विदाई भाषण के एक अंश को प्रस्तुत करता है जिसको उन्होंने अपने दुःखभोग के पूर्व दिया था। भाषण में शिष्यों को अपनी गहरी सच्चाई प्रस्तुत करते हुए उन्होंने पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के संबंध का उल्लेख किया था।″

संत पापा ने कहा कि येसु जानते थे कि पिता की योजना को किस तरह साकार करना है जो उनकी मृत्यु और पुनरुत्थान द्वारा पूर्ण होने वाला था। अतः वे शिष्यों को निश्चित रूप से बता देना चाहते थे कि वे उन्हें नहीं छोड़ेंगे क्योंकि उनका मिशन पवित्र आत्मा द्वारा आगे बढ़ाया जाएगा।

येसु के मिशन को आगे बढ़ाने का अर्थ है कलीसिया को आगे बढ़ाना। येसु प्रकट करते हैं कि यह मिशन किस तरह आगे बढ़ेगा। पवित्र आत्मा हमें उन बातों को समझने हेतु मार्गदर्शन देते हैं जिन्हें येसु बताना चाहते थे, ″मुझे तुम लोगों से और बहुत कुछ कहना है...″ (यो.16:12) संत पापा ने कहा कि यह कोई नया अथवा विशेष दस्तावेज नहीं था किन्तु येसु की उन सभी बातों को पूरी तरह समझना जिसे उन्होंने पिता से सुना है। (15) येसु के अनुसार पवित्र आत्मा जीवन की नयी परिस्थिति की ओर ले चलते हैं और घटनाओं एवं भविष्य को स्पष्ट करते हैं। वे हमें सुसमाचार पर आधारित मुक्ति इतिहास एवं निष्ठा के साथ परंपरा और रीति-रिवाजों पर चलने हेतु मदद देते हैं।

त्रिएक ईश्वर का रहस्य हमें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के साथ हमारे संबंध को बतलाता है। वास्तव में, बपतिस्मा संस्कार द्वारा पवित्र आत्मा हमारे हृदयों में डाला गया है और उनके साथ ईश्वर का जीवन जो प्रेम में एक-दूसरे से संयुक्त हैं।

संत पापा ने त्रिएक ईश्वर की तुलना परिवार से की, उन्होंने कहा, ″ईश्वर तीन व्यक्तियों का एक परिवार है जो एक-दूसरे से इतना प्रेम करते हैं कि एक-दूसरे से संयुक्त हैं। यह दिव्य परिवार है जो अपने आप में बंद नहीं है बल्कि खुला है, सृष्टि एवं इतिहास द्वारा अपने को प्रकट करता तथा मानव जाति की दुनिया में प्रवेश कर उन्हें अपने साथ होने के लिए निमंत्रण देता है। तृत्वमय एकता हम सभी का आलिंगन करता है तथा प्रेम एवं भाईचारा के साथ जीने का प्रोत्साहन देता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि जहाँ प्रेम है वहीं ईश्वर हैं।

संत पापा ने त्रियेक ईश्वर के साथ हमारे संबंध पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ईश्वर के प्रतिरूप में सृष्ट किया जाना हमें निमंत्रण देता है कि हम उनके साथ हमारे संबंध को समझे और साथ ही, पड़ोसियों के साथ भी एवं सभी के साथ सहानुभूति तथा प्रेमपूर्ण बर्ताव करें। ये भावनाएं कलीसियाई समुदाय में रखी जानी चाहिए क्योंकि तृत्वमय ईश्वर कलीसिया का प्रतीक है किन्तु इन भावनाओं को कलीसिया के अलावा सामाजिक संबंधों में व्यक्त किया जाना चाहिए। ये ठोस अवसर है जब आपसी सम्मान एवं निःस्वार्थ प्रेम द्वारा अधिक समृद्ध मानव संबंध का निर्माण किया जाता है।

संत पापा ने सभी विश्वासियों को सहानुभूति एवं करुणा के माध्यम बनने का आह्वान करते हुए कहा, ″त्रियेक ईश्वर का महापर्व हमें अपने दैनिक जीवन में सहानुभूति और करुणा द्वारा समुदाय में खमीर बनने हेतु निमंत्रण देता है। इस प्रेरिताई में हम, पवित्र आत्मा द्वारा बल प्राप्त करें तथा अन्याय, शोषण, घृणा तथा लालच द्वारा घायल मानवता की देखभाल करें।

त्रियेक ईश्वर में विश्वास को सुदृढ़ करने का आग्रह करते हुए संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान किया, ″अपनी दीनता में माता मरियम ने पिता की इच्छा को स्वीकार किया तथा पवित्र आत्मा की शक्ति से उनके पुत्र को अपने गर्भ में धारण किया, त्रियेक ईश्वर की प्रतिमूर्ति, त्रित्वमय ईश्वर के रहस्य में विश्वास करने की शक्ति हमें प्रदान करे तथा प्रेम एवं एकता की भावना को अपनाने में सहायता दे।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के बाद उन्होंने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि ″कल कोसेंज़ा में, पवित्र हृदय को समर्पित छोटे श्रमिक धर्मबहनों के धर्मसंघ के संस्थापक, एक धर्मप्रांतीय पुरोहित फ्रंचेस्को मरिया ग्रीक की धन्य घोषणा की गयी। वे 19 वीं सदी में वे धर्मसमाजियों के प्रणेता रहे एवं अपने शहर आक्रे में फलप्रद मिशन कार्य किया। हम उनके आदर्श जीवन के लिए ईश्वर को धन्यवाद देते हैं। संत पापा ने ताली बजाकर धन्य फ्रंचेस्को मरिया ग्रीक तथा इटली के सभी भले पुरोहितों को सम्मानित किया।

इस्तम्बुल में आयोजित प्रथम विश्व मानवीय शिखर सम्मेलन के बारे उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य है संघर्ष के कारण उत्पन्न मानवीय परिस्थितियों के समाधान के उपाय ढूढ़ना, पर्यावरण संबंधी समस्याओं एवं अत्यन्त गरीबी से ऊपर उठने पर विचार करना।

सम्मेलन में हम प्रार्थना द्वारा प्रतिभागियों के साथ हैं क्योंकि उनका मुख्य लक्ष्य बिना अपवाद के, प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की रक्षा करना है विशेषकर, निर्दोष एवं असहाय लोगों की। संत पापा ने जानकारी दी कि इस शिखर सम्मेलन में वाटिकन भी भाग लेगा, जिनका प्रतिनिधित्व वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन करेंगे।

संत पापा ने चीन में 24 मई को मनाये जाने वाले ‘माता मरियम ख्रीस्तीयों की सहायिका’ के पर्व पर चीन वासियों को शुभकामनाएँ देते हुए उन्हें अपना आध्यात्मिक सामीप्य प्रदान किया तथा कहा, ″हम माता मरियम से प्रार्थना करें कि वे चीन के अपने बच्चों को ईश्वर के प्रेमी उपस्थिति के चिन्ह अनुसार निर्णय करने की शक्ति प्रदान करे जो हमारा स्वागत करते एवं हमें क्षमा कर देते हैं। करुणा के इस जयन्ती वर्ष में चीन के काथलिक अन्य धर्मावलम्बियों के साथ प्रेम एवं मेल-मिलाप के ठोस चिन्ह बनें। इस तरह सभी एक साथ मिलकर, पूरे समाज में मुलाकात एवं सद्भाव की एक सच्ची संस्कृति को बढ़ावा दे सकें।

अंत में उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगल कामनाएँ अर्पित की।








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