2016-04-07 16:38:00

साक्षी वही जिसकी कथनी और करनी में सामंजस्य


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 7 अप्रैल 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि ख्रीस्तीय साक्ष्य के लिए कथनी और करनी में सामंजस्य आवश्यक है तथा यह पवित्र आत्मा द्वारा ही सम्भव है।

वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में 7 अप्रैल को ख्रीस्तयाग प्रवचन में संत पापा ने कहा ″जीवन तथा देखने और सुनने के बीच सामंजस्य, साक्ष्य की शुरूआत है किन्तु ख्रीस्तीय साक्ष्य द्विपक्षीय है। हम जीवन की वास्तविकता के साथ पवित्र आत्मा का साक्ष्य देते हैं। पवित्र आत्मा के बिना ख्रीस्तीय साक्ष्य सम्भव नहीं है क्योंकि ख्रीस्तीय साक्ष्य अर्थात् ख्रीस्तीय जीवन एक कृपा है, वह कृपा जिसमें प्रभु हमें पवित्र आत्मा प्रदान करते हैं।″  

प्रवचन में संत पापा ने संत योहन रचित सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु सच्चे साक्ष्य का जिक्र करते हैं।

उन्होंने कहा, आज के हमारे शहीदों के साक्ष्य, जिनमें से अधिकांश लोगों को अपनी भूमि छोड़ना पड़ता है, विस्थापन, मौत तथा अत्याचार का शिकार होना पड़ता है किन्तु वे साहस के साथ मृत्यु तक येसु की घोषणा करते हैं। यह उस ख्रीस्तीय का साक्ष्य है जो अपने जीवन को गंभीरता से जीता है। संत पापा ने कहा कि वह कभी किसी की बुराई नहीं चाहता और न ही दोहरी जिंदगी जीता है क्योंकि वह साक्ष्य देना चाहता है। वह विश्वास में जो देखा और सुना है अर्थात् पुनर्जीवित ख्रीस्त तथा पवित्र आत्मा का साक्ष्य देता है।

संत पापा ने कहा कि यही संतों तथा सामान्य लोगों का साक्ष्य है जिनका जीवन सामंजस्यपूर्ण होता तथा वे उसे मृत्यु दम तक प्रकट करते हैं। उन्होंने कहा कि ये ही लोग हैं जो कलीसिया को आगे ले चलते हैं।

संत पापा ने साक्षी बनने की शर्त बतलाते हुए कहा कि साक्षी वह है जिसकी कथनी और करनी में सामंजस्य हो। 








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