2016-04-04 15:52:00

दिव्य करूणा रविवार को संत पापा का ख्रीस्तयाग प्रवचन


वाटिकन सिटी, सोमवार, 4 अप्रैल 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 3 अप्रैल को, दिव्य करूणा रविवार के उपलक्ष्य संत पापा फ्राँसिस ने समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित किया तथा उसके अंत में स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया।

उन्होंने प्रवचन में कहा, ″ईसा ने अपने शिष्यों के सामने और बहुत से चमत्कार दिखाये जिसका विवरण इस पुस्तक में नहीं दिया गया है।″ (यो.20:30)

संत पापा ने कहा, ″सुसमाचार ईश्वर की दया की किताब है जिसे बार-बार पढ़ना चाहिए क्योंकि येसु ने जो कहा और सम्पन्न किया वह पिता की करुणा की अभिव्यक्ति है। यद्यपि इसमें सब कुछ नहीं लिखा गया है तथापि करुणा का सुसमाचार एक खुली किताब है जिसको येसु के शिष्यों ने बाद में लिखा। प्रेम का ठोस चिन्ह करुणा का सर्वोत्तम साक्ष्य है। हम सुसमाचार के जीवित लेखक हैं इस युग के सभी लोगों के लिए शुभ समाचार के धारक। इस कार्य को हम दया के आध्यात्मिक और शारीरिक कार्यों द्वारा पूरा कर सकते हैं जो एक ख्रीस्तीय जीवन शैली है। इन साधारण किन्तु प्रभावशाली कार्यों का अभ्यास करते हुए कभी-कभी अप्रत्यक्ष रूप से उन लोगों से मुलाकात किया जा सकता है जो जरूरतमंद हैं और उन्हें ईश्वर की कोमलता एवं सहानुभूति प्रदान की जा सकती है जिसको येसु ने पास्का के दिन सम्पन्न किया जब पिता की करुणा को उन्होंने भयभीत शिष्यों में डाला। पवित्र आत्मा को प्रदान करने के द्वारा येसु पापों को क्षमा करते तथा हमें आनन्द से भर देते हैं। इस तरह यह कहानी बिलकुल विषम है एक ओर जहाँ शिष्यों में भय समाया हुआ था और जिन्होंने द्वार बंद कर लिया था, दूसरी ओर, येसु की प्रेरिताई है जो क्षमाशीलता के संदेश का प्रचार करने के लिए उन्हें संसार के कोने-कोने में भेजती है।″

संत पापा ने कहा कि हम में भी ये विषमता हो सकती है जब हम हृदय द्वार बंद कर लेने तथा उसे खोलने एवं अपने आप से बाहर आने के प्रेमी बुलावे की आंतरिक संघर्ष से होकर गुजरते हैं। ख्रीस्त जिन्होंने प्रेम के खातिर पाप, मृत्यु तथा अधोलोक के बंद दरवाजों से होकर गुजरे वे हम प्रत्येक के हृदय में भी प्रवेश करना चाहते हैं। उन्होंने पुनरुत्थान द्वारा उस भय पर विजय पायी जो हमें गुलाम बना देता, हमारे द्वार बंद करता तथा हमें उनसे दूर कर देता है। जो रास्ता पुनर्जीवित प्रभु ने हमें दिखाया है वह एक ऐसा रास्ता है जो खुद से बाहर जाने का है। प्रेम की चंगाई शक्ति जिसने हमें जीत लिया है, हमारे सामने उस मानवता प्रस्तुत करता है घायल और भयभीत है। जो पीड़ा एवं अनिश्चितता के चिन्ह को अपने में धारण किये हुए है। करुणा और शांति के अभाव में चीखती आवाज, जिसे आज हम अनुभव करते हैं, येसु का निमंत्रण है ″जिस तरह पिता ने मुझे भेजा है उसी तरह मैं तुम्हें भेजता हूँ।″ (पद.21)

ईश्वर की दया में हर प्रकार की बीमारी से चंगाई प्राप्त की जा सकती है। उनकी दया हमें ग़रीबों से मुलाकात करने से नहीं रोक सकती तथा हमारी दुनिया को प्रभावित करने वाली हर गुलामी से मुक्त करती है। ईश्वर हरेक व्यक्ति के घाव तक पहुँचना चाहते हैं। करुणा के मिशनरी बनने का अर्थ है लोगों के घावों को छूना तथा उस पर मरहम पट्टी लगाना, कई लोगों के माध्यम से प्रभु शरीर और आत्मा द्वारा आज भी उपस्थित हैं। उन घावों में मरहम पट्टी द्वारा हम येसु के कार्यों को साक्षात रूप से आगे बढ़ायें। उनकी करुणा को दूसरों के स्पर्श द्वारा अनुभव करने दें, उन्हें ईश्वर और प्रभु के रूप में पहचानने में मदद करें जैसा कि प्रेरित संत थोमस ने किया। संत पापा ने कहा कि यही प्रेरिताई है जो हमें सौंपी गयी है ताकि बहुत से लोग उन्हें सुन और समझ सकें। करुणा के सुसमाचार का प्रचार किया जाना आवश्यकता है जो भले समारितानी के समान धीरज एवं खुले हृदय की मांग करता है। दयालुता अपने भाई-बहनों के रहस्यों के सामने मौन रहता जबकि मुफ्त सेवा करने वाले उदार तथा प्रसन्नचित्त सेवक को प्रोत्साहित करता है।

″तुम्हें शांति मिले।″ (पद 21) एक ऐसा अभिवादन है जिसे ख्रीस्त अपने शिष्यों को प्रदान करते हैं। यह वही शांति है जिसका इंतजार हमारे समय के लोगों के लिए आवश्यक है। यह समझौता की हुई शांति नहीं है और न ही किसी गलती की आशंका है। यह वह शांति है जो जी उठे ख्रीस्त के हृदय से आती है जिसने पाप, मृत्यु तथा भय पर विजय पायी है। यह विभाजित नहीं करती बल्कि एकता के सूत्र में बांधती है। हमें अकेले नहीं छोड़ती किन्तु स्वीकृति और प्यार का अनुभव देती है। यह एक ऐसी शांति है जो आशा का संचार करती है। यह शांति पास्का के दिन, ईश्वर की क्षमाशीलता से उत्पन्न हुई है जो हमारे हृदय से सभी परेशानियाँ दूर कर देती है। उनकी शांति के वाहक बनना, पास्का रविवार द्वारा कलीसिया को सौंपा गया मिशन है। हम ख्रीस्त में पुनर्जीवित हुए हैं ताकि मेल-मिलाप के माध्यम बनें, सभी के लिए पिता की क्षमाशीलता लायें, उनके उस चेहरे को प्रकट करें जो कहता है, मैं करुणा द्वारा प्यार करता हूँ।

अनुवाक्य में यह घोषित किया गया, ″उनका प्रेम अनन्त काल तक बना रहता है।″ (117-118,2) सचमुच ईश्वर की दया अनन्त काल तक बना रहने वाला है इसका कभी अंत नहीं होता तथा अथक है। इसके द्वारा हमें कमजोरी और परीक्षा की घड़ी में सदा समर्थन प्राप्त होता है। क्योंकि हमें पूर्ण विश्वास है कि ईश्वर नहीं त्यागते। वे सदा हमारे साथ रहते हैं। उस महा प्रेम के लिए धन्यवाद जिसे हम पूरी तरह नहीं समझ सकते। हम उस कृपा के लिए प्रार्थना करें जो ईश्वर की दया प्राप्त करने तथा उसे दुनिया में लाने से कभी नहीं थकती, जो हमें दयालु बनने की मांग करती है। सभी ओर सुसमाचार की शक्ति को फैलाने हेतु निमंत्रण देती तथा सुसमाचार के उन पन्नों को लिखने के लिए आमंत्रित करती है जिनको संत योहन ने नहीं लिखा है।

समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित करने के उपरांत संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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