2016-04-02 15:32:00

कंधमाल मामले में सात ख्रीस्तीयों में से एक को जमानत


कंधमाल, शनिवार, 2 अप्रैल 2016 (ऊकान): उड़ीसा के उच्च न्यायालय ने कंधमाल जिले में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा के दौरान हिन्दू नेता स्वामी लक्ष्मानन्दा की हत्या के आरोप में गिरफ्तार सात ख्रीस्तीयों में से एक गोरनाथ कालानसेथ को जमानत पर रिहा कर दिया है।

वर्ष 2008 में हिन्दू नेता स्वामी लक्ष्मानन्दा की हत्या के आरोप में सात ख्रीस्तीयों को गिरफ्तार किया गया था जिनमें से एक अरोपी को नये सिरे से जाँच प्रक्रिया के अंतरराष्ट्रीय याचिका के तहत रिहा किया गया है।

उड़ीसा उच्च न्यायालय द्वारा गोरनाथ कालानसेथ की रिहाई, सितम्बर 2014 को न्यायालय द्वारा लिए गये निर्णय के विपरीत है जिसमें सभी अभियुक्तों के रिहाई को खारिज कर दिया गया था।

कालेनसेथ ने मार्च महीने में नई याचिका दर्ज की थी। उसकी रिहाई से उम्मीद की जा रही है कि बाकी अभियुक्त जिन्होंने अब तक नई याचिका दर्ज नहीं की है उन्हें भी रिहाई मिल सकती है।

मार्च महीने के शुरू में मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने भारतीय नेताओं से यह सुनिश्चित करने हेतु याचिका दायर किया था कि सात ख्रीस्तीय अभियुक्तों को नये सिरे से जाँच किया जाए। याचिका में कंधमाल के पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गयी टिप्पणी में कहा गया है कि ख्रीस्तीय अभियुक्तों के विरूद्ध दिया गया साक्ष्य मनगढ़ंत है।

अंतो अक्कारा ने अपने नये किताब ‘क्राई ऑफ द ओपरेस्ट’ में कहा है कि कालेनसेथ एक बपतिस्ट ख्रीस्तीय है तथा कोटाघार ब्लॉक पंचायत का सदस्य। जब कोटाघार पुलिस ने उसे दिसम्बर 2008 में मुलाकात करने हेतु बुलाया था तो उन पर कोई संदेह नहीं किया गया था।

अक्कारा ने लिखा है कि स्वामी लक्ष्मानन्दा की हत्या के आरोपी इन सात ख्रीस्तीय अभियुक्तों पर उनकी हत्या का कोई भी साबूत नहीं है।








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