2016-02-10 11:57:00

पुणे: जातिवाद के अन्त का महिलाओं ने किया आह्वान


पुणे, बुधवार, 10 फरवरी 2016 (ऊका समाचार): भारत स्थित ख्रीस्तीय महिलाओं के एक आन्दोलन ने देश के राजनीतिज्ञों एवं सामाजिक नेताओं से आग्रह किया है कि वे जातिगत राजनीति एवं जाति पर आधारित भेदभाव को समाप्त करने के लिये काम करें जो देश के निर्धनों को शिक्षा एवं नौकरी के अवसरों से वंचित कर रहा है।

भारतीय ख्रीस्तीय महिला आन्दोलन के सदस्यों का सम्मेलन 04 फरवरी को महाराष्ट्र के पुणे शहर में आयोजित किया गया था। महिलाओं ने कहा कि विगत माह हैदराबाद में एक शोध छात्र की आत्महत्या दर्शाती है कि "दलितों के साथ अमानवीय व्यवहार जारी है तथा उन्हें उन अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है जिसका आनन्द अन्यों द्वारा उठाया जाता है, वे जन्म के आधार पर उच्च स्तरीय जीवन जीते हैं।"

जनवरी 17 को शोध छात्र रोहित वेमूला की आत्महत्या के बाद सम्पूर्ण राष्ट्र में विरोध प्रदर्शन हुए थे तथा भारत में अभी भी व्याप्त जातिवाद की निन्दा की गई थी। रोहित की आत्महत्या ने उस कटु सत्य को भी उजागर किया था कि उच्च स्तरीय शिक्षण संस्थान जातिगत भेदभाव के अड्डे बन रहे हैं।

ख्रीस्तीय महिलाओं ने एक वकतव्य प्रकाशित कहा, "हम अत्यन्त दुःखी हैं कि भारत जैसे प्रजातांत्रिक देश में हैदराबाद के विश्वविद्यालय के एक युवा शोध छात्र ने अपनी जान सिर्फ इसलिये ली कि उसे एहसास हुआ कि उसका जीवन दलित होने की उसकी पहचान से परिभाषित किया जा रहा था।"

विश्वविद्यालय द्वारा 25,000 रुपये की छात्रवृत्ति मिलना बन्द होने के कई माहों बाद रोहित ने आत्महत्या कर ली थी। विश्वविद्यालय ने अंबेडकर छात्र संघ के पांच अन्य सदस्यों के साथ उसे छात्रावास से भी निष्कासित कर दिया था। इन सभी छात्रों पर भाजपा की अखिल भारतीय छात्र शाखा के एक सदस्य पर आक्रमण का आरोप लगाया गया था। 

वकतव्य में कहा गया, "मानव संसाधन और विकास मंत्रालय के राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने रोहित वेमूला के साथ जो सुलूक किया वह अत्यन्त घृणित है।"








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