2015-11-28 15:35:00

ईश्वरीय प्रेम की अभिव्यक्ति बुजुर्गो, गरीबों, अनाथों और विधवाओं की सेवा में झलकती है।


वाटिकन सिटी, शनिवार, 28 नवम्बर 2015, (सेदोक) संत पापा फ्रांसिस ने ने यूगान्डा के शहीद तीर्थस्थल नामुंगोंगो में शनिवार को मिस्सा बलिदान के दौरान अपने प्रवचन में कहा, “पवित्र आत्मा तुम लोगों पर उतरेगा और तुम्हें सामर्थ्य प्रदान करेगा और तुम लोग येरुसालेम, सारी यहुदिया और समारिया में तथा पृथ्वी के अन्तिम छोर तक मेरे साक्षी होंगे।” (प्रेरित.1.8)

प्रेरितों के युग से लेकर आज तक येसु ख्रीस्त के विषय में साक्ष्य और घोषणा को लेकर असंख्य बातें हुई हैं। आज हम कृतज्ञता ते साथ यूगान्डा के शहीदों की याद करते हैं जिन्होंने येसु ख्रीस्त के प्रेम का साक्ष्य अपने जीवन के द्वारा दुनिया के सीमान्तों तक फैलाया। हम अंगलिकन शहीदों की भी याद करते हैं जो येसु के लिए मर गये जिनका लहू अन्तर कलीसियाई वार्ता का साक्ष्य देता है। ये सभी साक्ष्य पवित्र आत्मा की शाक्ति से प्रेरित हुए और इसके द्वारा शहीदों ने स्वेच्छा से कम उम्र में ही येसु ख्रीस्त हेतु अपने जीवन की आहुति दे दी। 

हमने भी पवित्र आत्मा की शक्ति को पाया है जिससे हम बेटे-बेटियों के रूप में येसु का साक्ष्य दे सकें और उनके प्यार को दुनिया में फैला सकें। बपतिस्मा के द्वारा हमें, पवित्र आत्मा में नवजीवन मिला है और हम उनकी कृपा से ढ्ढ़ीकरण में संबल हुए हैं। प्रतिदिन हम अपने जीवन में पवित्र आत्मा से मजबूत होने के लिए बुलाये जाते हैं जिससे हम ईश्वर के  प्रेममय उपहार में दूसरों के लिए प्रज्ञा और शक्ति का माध्यम बन सकें।

पवित्र आत्मा का उपहार सब के साथ बाँटने के लिए है। यह हम सब विश्वासियों को कलीसिया में येसु ख्रीस्त के रहस्यमय शरीर से संयुक्त करता है। पवित्र आत्मा का वरदान हमें केवल अपने लिए नहीं अपितु हमें इसे दूसरों को विश्वास, भरोसा और प्रेम में पिरोने हेतु मिला है। मैं संतों जोसेफ मकास और चार्ल्स लवंगा की याद करता हूँ जो धर्मशिक्षा ग्रहण करने के बाद इसे दूसरों में बाँटना चाहते थे। उन्होंने इस काम को विकट परिस्थिति में किया क्योंकि न केवल उनका जीवन खतरे में था वरन् उन बच्चों का भी जिनकी देखभाल वे करते थे। वे येसु के प्यार और विश्वास में पक्के थे और इसलिए वे भयमुक्त होकर, अपने जीवन की परवाह किये बिना येसु को दूसरों के पास ले गये। उनका विश्वास हमारे लिए साक्ष्य है जिन्हें हम शहीदों की श्रद्धा देते हैं। उनका उदाहरण अब तक विश्व के लोगों को प्रेरित करता है। वे अब भी येसु और उनके क्रुस का साक्ष्य देते हैं, यदि हम शहीदों की तरह पवित्र आत्मा के वरदानों को अपने दिल में संजोय रखें जो हममें निवास करते हैं तो हम निश्चित रूप से येसु के प्रेरितिक शिष्य बनेंगे जिसके लिए येसु हमें बुलाते हैं। पवित्र आत्मा हमारे परिवारों और मित्रों को निश्चित रूप से मिलता है साथ ही उन्हें भी जिन्हें हम नहीं जानते और विशेषकर जो हम से शत्रुता की भावना रखते हैं। परिवार में यह दूसरों के लिए हमारे हृदयों को खोलता है जहां हम प्रेम और क्षमा सीखते हैं और अपने माता-पिता के द्वारा दया और ईश्वरीय प्रेम को जानते हैं। हममें इसकी अभिव्यक्ति बुजुर्गो, गरीबों, अनाथों और विधवाओं की सेवा में झलकती है।

शहीदों की गवाही का वृतान्त जिसे हमने सुना है हमें यही बतलाता है कि सांसारिक खुशियाँ और दुनिवायी ताकत हमें अनंत खुशी और शांति नहीं देते हैं, बल्कि ईश्वर के प्रति हमारी वफादारी, जीवन के प्रति ईमानदारी और समर्पण तथा दूसरों की सच्ची सेवा हमें असल शांति प्रदान करती है जो दुनिया हमें नहीं दे सकती है। यह दुनिया के प्रति हमारे कर्तव्य को समाप्त नहीं करता, मानों हम केवल अपने आने वाले जीवन की चिन्ता करते हों। यह संसार में हमारे जीवन के अर्थ को समझने और जरुरतमंदों तक पहुँचने में हमारी मदद करता है जिसे हम दूसरों से मिलकर एक अच्छे न्यायपूर्ण समाज के निमार्ण हेतु काम कर सकें जहाँ सबकी मर्यादा कायम रहे, ईश्वर प्रदत जीवन और प्रकृति की रक्षा होती रहे जो हम सब का एक सामान्य घर है।

प्रिय भाइयो और बहनो यह विरासत आपने यूगान्डा के शहीदों से पायी है, जीवन जो पवित्र आत्मा से संचलित किया जाता है, जो अब भी येसु ख्रीस्त के सुसमाचार की परिवर्तनशील शक्ति का साक्ष्य देता है। इस विरासत का महत्व इन्हें कभी कभार याद करने या इसे संग्रहालय में कीमती आभूषण के समान सहेज कर रखनें में नहीं अपितु अपने आस पड़ोस, कार्यस्थल और समाज में सम्मान देने में होता है।

संत पापा ने अपने प्रवचन के अन्त में कहा कि यूगान्डा के शहीदगण और कलीसिया की माँ, माता मरियम हम सबों के लिए याचना करें और पवित्र आत्मा हमारे हृदयों में ईश्वरीय प्रेम का दीप प्रज्वलित करे।








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