2015-11-28 12:48:00

धर्मशिक्षकों से साक्षी बनने का सन्त पापा ने किया आह्वान


मूनयोन्गो, यूगाण्डा, शनिवार, 28 नवम्बर 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को यूगाण्डा के मूनयोन्गो तीर्थ पर धर्मशिक्षकों एवं शिक्षकों को अपना सन्देश दिया।

उन्होंने कहा, "येसु हमारे प्रथम एवं सर्वोत्तम शिक्षक हैं। सन्त पौल हमसे कहते हैं कि येसु ने अपनी कलीसिया को केवल प्रेरितों एवं मेषपालों का ही वरदान नहीं दिया बल्कि शिक्षक भी प्रदान किये हैं ताकि वे सम्पूर्ण कलीसियाई शरीर को विश्वास एवं प्रेम से पोषित कर सकें।"

धर्मशिक्षकों को उनके कार्यों एवं बलिदानों के लिये धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सन्त पापा ने कहा, "हालांकि, कभी-कभी हमारे कार्य हमें कठिन लगें, अनेक बाधाएँ प्रस्तुत हों आप यह न भुलें कि आपका कार्य एक पवित्र कार्य है। जब-जब आप ख्रीस्त की उदघोषणा करते हैं तब-तब पवित्रआत्मा आपके बीच उपस्थित रहते हैं।"

स्वतः को केवल धर्मशिक्षक तक ही सीमित न रखने बल्कि ख्रीस्तीय सन्देश के साक्षी बनने का आह्वान कर सन्त पापा ने कहा, "आप जिस सन्देश का प्रसार करते हैं वह तब ही लोगों के दिलों में घर कर सकेगा जब आप केवल शिक्षक मात्र नहीं बल्कि ख़ुद उस सन्देश के साक्षी बनें। आपका आचार-व्यवहार लोगों को प्रार्थना के सौन्दर्य तथा दया एवं क्षमा की अपार शक्ति के विषय में बतायेगा।"                








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