2015-11-26 13:58:00

विश्वास में मजबूत बने रहें, आप न डरें क्योंकि प्रभु आपके साथ हैं


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 26 नवम्बर 2015 (सेदोक) संत पापा ने गुरुवार को केनिया की प्रेरितिक यात्रा के दौरान नैरोबी के सुप्रसिद्ध विश्वविद्यलय “युनिवर्रसिटी कॉलेज नैरोबी” के “ऊहूरू पार्क” जिसका अर्थ केनियावासियों के लिए “स्वतंत्रता” है में मिस्सा बलिदान आर्पित किया।

अपने मिस्सा पूजा के दौरान प्रवचन मैं उन्होंने कहा कि ईश्वर के वचन हमारे हृदय की गहराई में को छूते हैं। आज ईश्वर हम से कहते हैं कि हम उनके हैं। उन्होंने हमें बनाया है, हम उनके परिवार के सदस्य है और वे सदैव हमारे साथ रहेंगे। वे कहते हैं, “डरो मत, मैंने तुम्हें चुना हैं और तुम्हें आशीष देने की प्रतिज्ञा करता हूँ।” (इसा. 44.2)

आज के पहले पाठ में प्रभु हम से कहते हैं कि वे मरुभूमि में, सूखी धरती में पानी बरसायेंगे, वह अपने लोगों को हरी-भरी घास के मैदानों की तरह बढ़ायेंगे। हम जानते हैं ईश्वर की यह भविष्यवाणी पवित्र आत्मा के आगमन, पेन्तेकोस्त में पूरी होगी। लेकिन हम देखते हैं कि यह भविष्यवाणी उन सभी स्थानों में पूरी होती है जहाँ सुसमाचार की घोषणा की जाती और नये लोग कलीसिया में ईश परिवार के सदस्य बनते हैं। हम आज खुशी मनाते हैं कि यह इस धरती पर पूरी हुई है। सुसमाचार की उद्घोषणा से आप भी ईश्वर के बृहृद परिवार के अंग बन गये हैं। 

नबी इसायस की भविष्यवाणी हमें अपने परिवारों की ओर देखने का निमत्रंण देती है कि कैसे ईश्वरीय योजना में वे हमारे लिये महत्वपूर्ण हैं। किनियाई समाज का पारिवारिक जीवन, बुजुर्गो के ज्ञान की सच्ची श्रद्धा और अपने बच्चों के प्रति प्यार की आशीष से हम भरे हैं। किसी भी समाज का स्वास्थ्य, स्वस्थ्य परिवारों पर निर्भर करता है। उनके लिए और समाज की भलाई के लिए ईश्वर के वचनों में हमारा विश्वास, परिवार के प्रति हमारे प्रेरितिक कार्य, जो हमें बच्चों को दुनिया में ईश्वर की आशीष के रूप में स्वीकार करने और सब की मर्यादा की रक्षा हेतु निमत्रंण देता है क्योंकि हम सब एक परिवार के भाई बहन के समान हैं।

ईश्वरीय आज्ञा के अनुसार हमारा बुलावा अपने क्रोध और हठीलेपन का दमन करने को कहता है जिसके कारण स्त्रियों को चोट लगती या उनकी मर्यादा भंग होती और अजन्में मासूमों के जीवन को खतरा हो जाता है। हम एक दूसरे का सम्मान, प्रोत्साहन और जरुरतमन्द लोगों की सेवा करने के लिए बुलाये गये हैं। ख्रीस्तीय परिवारों के लिए यह एक विशेष बुलावा है कि वे ईश्वरीय प्रेम को प्रसारित करें और जीवनदायी जल और आत्मा को एक दूसरे के साथ बाँटें, यह हमारे लिए विशेष दिन है क्योंकि हम एक नई मरूभूमि को बढ़ते देखते हैं जो भौतिकतावाद और दूसरे के प्रति उदासीनता की संस्कृति के कारण हो रहा है।

 

यहाँ महाविद्यलय के प्रांगण में जहाँ नयी पीढ़ी का मन और हृदय तैयार किया जाता है, मैं विशेष रूप से अफ्रीका के युवाओ से आग्रह करता हूँ कि आप अफ्रीका के विशाल गुण और रीति, ज्ञान और ईश्वर के सत्य वचन और अपनी युवा उदारता से समाज को एकता के सूत्र में पिरोने की कोशिश करें जहाँ न्याय और हर व्यक्ति की मर्यादा निवास करती है। आप हमेशा गरीबों की सेवा हेतु तैयार रहें और उन सभी चीजों का परित्याग करें जो पूर्वाग्रह और छुआछूत की ओर आप को अग्रसर करता है क्योंकि हम जानते हैं कि ये सारी चीजें ईश्वर की ओर से नहीं आती हैं।

हम सभी येसु के उस दृष्टान्त से वाकिफ़ हैं जहाँ मनुष्य ने अपना घर चट्टान की नींव के बदले बालू में तैयार किया। जब आँधी चली तो उस घर का महाविनाश हुआ। (मती.7.24-27) ईश्वर वह चट्टान है जिसमें हमें अपना घर तैयार करना है। आज के प्रथम पाठ में येसु हमें इसी बात को बतलाते हुए कहते हैं क्या ईश्वर हमारे साथ है? (इसा.44.8)

आज के सुसमाचार में पुनरूजीवित येसु कहते हैं, मुझे स्वर्ग में और पृथ्वी पर पूरा अधिकार मिला है। (मती. 28.18) वे हमें बतलाते हैं कि वे ईशपुत्र स्वयं चट्टान हैं। उसके समान कोई नहीं है। एक मुक्तिदाता के रूप में सारे जहाँ के लोगों को वे अपने पास बुलाना चाहते हैं जिसे कि वह उन्हें अपने पिता के पास ले चलें। वे चाहते हैं कि हम सब अपने जीवन की मजबूत नींव को उनके वचनों में स्थापित करें।

यही काम येसु हम में से प्रत्येक को देते हैं। वे हमें प्रेरितिक शिष्य होने को कहते हैं जो सुसमाचार की सुन्दरता, सत्य और जीवन परिर्वतन करने वाली शक्ति को प्रसारित करते हैं। वे ईश्वरीय प्रेम, दया और अनुकम्पा के माध्यम बनते हैं जो एक मकान की मजूबत नींव तैयार करती है। एक घर जो परिवार है जहाँ भाई-बहन अंतः आपसी शांति और एक दूसरे का सम्मान करते हुए रहते हैं, जो ईश्वरीय आज्ञा का अनुपालन है जिसे पिता ने हमारे लिये येसु में प्रकट किया है जो स्वतंत्रता और शांति के स्रोत हैं जिसे पाने हेतु सब का दिल व्याकुल है। 

येसु भले चरवाहे, एक चट्टान हैं जिस पर हम अपनी नींव स्थापित करते हैं। वे आपको और आपके परिवारों को अच्छाई और सच्चाई के मार्ग में हमेशा ले चलें। ईश्वर आप केनिया वासियों को अपनी शांति से भर दे।

संत पापा ने प्रवचन के अंत में कहा, “विश्वास में मजबूत बने रहें, आप न डरें क्योंकि आप प्रभु के हैं।”








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