2015-10-05 16:45:00

और वे माता-पिता बन जाते हैं


वाटिकन सिटी, सोमवार, 5 अक्तूबर 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 4 अक्टूबर को ख्रीस्तयाग के अंत में संत पापा फ्राँसिस ने देवदूत प्रार्थना के पूर्व विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिये भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

संत पेत्रुस महागिरजाघर में अभी-अभी ख्रीस्तयाग समारोह का समापन हुआ है जिसने विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा का शुभारम्भ कर दिया है। सिनॉड के प्रतिभागी विश्व के विभिन्न हिस्सों से आकर संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी के पास एकत्र हो चुके हैं जो तीन सप्ताह तक कलीसिया एवं समाज में परिवार की बुलाहट एवं प्रेरिताई पर चिंतन करेंगे जिससे कि सावधानी पूर्वक आध्यात्मिक तथा प्रेरितिक निर्णय लिया जा सके।″

संत पापा ने सिनॉड के उद्देश्य की जानकारी देते हुए कहा कि इस समय हम येसु पर अपना मन केंद्रित रखेंगे: सच्चाई एवं दया पर उनकी शिक्षा एवं परिवार के साथ और परिवार के लिए कलीसिया की पर्याप्त प्रतिबद्धता हेतु सबसे उपयुक्त तरीक़ों पर ध्यान देंगे क्योंकि स्त्री एवं पुरुष के लिए सृष्टिकर्ता की मूल योजना को आज के विश्व में अपनी सारी सुन्दरता एवं क्षमता के साथ कार्यान्वित किया जाना आवश्यक है।

संत पापा ने धर्मविधिक पाठों में से प्रथम पाठ पर चिंतन किया जहाँ स्त्री एवं पुरुष के बीच पूरकता और पारस्परिकता के संबंध को दर्शाया गया है। ″इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ेगा तथा अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक शरीर हो जायेंगे।″ (उत्पति 2: 24)

संत पापा ने कहा कि इस में पाठ दिखलाया गया है कि पति पत्नी मिलकर नये प्राणी को जन्म देते हैं। वे माता और पिता बन जाते हैं, ईश्वर की सृजनात्मक शक्ति के सहभागी होते हैं। उन्होंने कहा, ″किन्तु स्मरण रहे कि ईश्वर प्रेम हैं तथा उनका यह गुण उनके कार्यों पर भी उतरता है जब हम उनकी तरह कार्य करते तथा उन्हें प्यार करते हैं।″ इस संबंध में संत पौलुस रोमियों को लिखते हुए कहते हैं, ″आशा व्यर्थ नहीं होती, क्योंकि ईश्वर ने हमें पवित्र आत्मा प्रदान किया है और उसके द्वारा ही ईश्वर का प्रेम हमारे हृदयों में उमड़ पड़ा है।″ (रोम.5:5)

संत पापा ने कहा कि यही वह प्यार है जो विवाह संस्कार में दम्पतियों को दिया गया है तथा जो दुःख एवं सुख, मौन एवं कठिनाई में भी रिश्तों को बनाये रखने के लिए ईंधन की तरह है। यह प्रेम उन्हें संतान उत्पन्न करने हेतु प्रेरित करता है। उनका इंतजार करने, उन्हें स्वीकारने, उनका पालन-पोषण तथा शिक्षा प्रदान करने की इच्छा जागृत करता है। यह वही प्रेम है जिसे आज हम सुसमाचार पाठ में पाते हैं जिसे येसु बच्चों के लिए प्रकट करते हैं: ″बच्चों को मेरे पास आने दो, उन्हें मत रोको क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन जैसे लोगों का है।″(मार.10:14)

आज हम प्रभु से प्रार्थना करें कि विश्व के सभी माता-पिता एवं शिक्षक तथा सम्पूर्ण समाज ऐसे उपकरण बनें जो बच्चों को येसु की तरह प्यार एवं स्वीकृति प्रदान कर सकें। येसु बच्चों को माता-पिता की कोमलता एवं स्नेह से देखते हैं। मैं भूखे, अनाथ, शोषित, युद्ध के लिए मजबूर तथा परित्यक्त कई बच्चों की याद करता हूँ। दुखित, लाचार, ग़रीब तथा संघर्ष से भागने का प्रयास करते बच्चों की कल्पना करना कितना पीड़ादायक है। वे हमारे हृदय एवं द्वार खटखटा कर मदद की गुहार लगा रहे हैं। प्रभु हमें किला नहीं किन्तु समाज के परिवार का निर्माण करने तथा प्यार से स्वागत करने की कृपा प्रदान करे।

संत पापा ने सिनॉड के लिए प्रार्थना करने का आग्रह करते हुए कहा, ″सिनॉड के कार्यों को प्रार्थना द्वारा समर्थन दें कि पवित्र आत्मा सिनॉड के प्रतिभागियों को उनकी प्रेरणा को सुन पाने हेतु उदार बनाये। हम माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करें।

इतना कहकर संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि कल स्पेन के संतानदर में स्पानी गृहयुद्ध तथा 13 वीं शताब्दी में धार्मिक अत्याचार के समय विश्वास के कारण शहीद पीयो हेरेदिया एवं 17 कामरेडों की धन्य घोषणा की गयी। हम उनके साहसिक साक्ष्य के लिए ईश्वर की प्रशंसा करते हैं तथा उनकी मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करते हैं कि दुनिया से युद्ध की संकट दूर हो जाए।

संत पापा ने ग्वाटेमाला में भूस्खलन के शिकार तथा बाढ़ पीड़ित लोगों के लिए प्रार्थना का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, ″इस कठिन परिस्थिति में हम उनके साथ हैं।″

अंत में संत पापा ने असीसी के संत फ्राँसिस के पर्व की शुभकामनाएँ देते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगल कामनाएँ अर्पित कीं।








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