2015-09-27 16:05:00

चुनौतीपूर्ण परिस्थिति का सामना करने हेतु रचनात्मक बनें


फिलाडेलफिया, रविवार, 26 सितम्बर 15 (वीआर सेदोक): अमरीका के फिलाडेलफिया स्थित संत पेत्रुस एवं पौलुस महागिरजाघर में संत पापा फ्राँसिस ने 26 सितम्बर को धर्मसमाजियों के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित किया। प्रवचन में उन्होंने कहा, ″आज प्रातः मैंने इस सुन्दर महागिरजाघर के इतिहास की जानकारी प्राप्त की, इन दीवारों एवं खिड़कियों के पीछे की कहानी। मैं इस कलीसिया के इतिहास पर चिंतन करना चाहता हूँ कि यह दीवारों के निर्माण की नहीं, इसके ढाहने की कहानी है। यह उन पीढ़ी दर पीढ़ी काथलिकों का इतिहास है जिन्होंने देहातों में जाकर धार्मिक, शैक्षणिक, उदार तथा बृहद समाज की सेवा हेतु समुदाय का निर्माण किया।″

यह कहानी कई तीर्थस्थलों एवं पल्ली समुदायों के बीच ईश्वर की मौन उपस्थित में देखी जा सकती है। उन स्थलों में समर्पित पुरोहितों, धर्मसमाजियों तथा लोकधर्मियों के अथक प्रयास को स्पष्ट देखे जा सकते हैं जिन्होंने शताब्दी से अधिक ग़रीबों, विस्थापितों, बीमारों तथा कैदियों की आध्यात्मिक सहायता की है। उन हज़ारों स्कूलों के माध्यम से धर्मबधुओं एवं धर्म बहनों ने बच्चों को ईश्वर तथा पड़ोसियों से प्रेम करने तथा समाज के अच्छे नागरिक बनकर भलाई करने की शिक्षा प्रदान की है। ये सभी महान विरासत हैं जिन्हें हम स्वीकार करने, अपने में आत्मसात करने तथा भावी पीढ़ी को हस्तांतरित करने के लिए बुलाये गये हैं।

संत पापा ने स्थानीय कलीसिया की महान संत कैथरिन ड्रेकसेल का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि उन्होंने संत पापा लेओ 13 वें के संदेश से प्रेरित होकर मन परिवर्तन किया तथा यह स्वीकार किया कि बपतिस्मा द्वारा सभी विश्वासी ख्रीस्त के शरीर कलीसिया के निर्माण हेतु बुलाये का उत्तम प्रत्युत्तर देने के लिए आमंत्रित हैं।

संत पापा ने सभी पुरोहितों एवं धर्मसमाजियों को सम्बोधित कर कहा कि मैं आपके समक्ष दो शब्दों को रखना चाहता हूँ, सुसमाचार के आनन्द को बांटने एवं कलीसिया के निर्माण की प्रेरिताई।

संत पापा ने संत कैथरिन का उदाहरण देते हुए कहा कि इन शब्दों ने उनके जीवन को बदल दिया। उन्होंने कहा कि पल्लियों तथा स्कूलों में कितने युवा हैं जो उच्च विचार, उदारता की भावना तथा ख्रीस्त एवं कलीसिया के प्रति प्रेम से भरे हैं। क्या हम ऐसे लोगों को चुनौती देते हैं? क्या हम उनके लिए स्थान बनाते हैं एवं उनके कर्तव्यों को पूरा करने के लिए उनकी मदद करते हैं। उनके उत्साह एवं क्षमता, दया एवं लोगों के प्रति सहानुभूति के कार्यों को व्यक्त करने के लिए उपाय करते हैं? प्रभु की सेवा करने के अपने आनन्द एवं जोश को क्या हम उनके बीच बांटते हैं।

संत पापा ने कलीसिया की चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसकी एक बड़ी चुनौती है सभी विश्वासियों को कलीसिया के प्रति उनके उत्तरदायित्व की जानकारी देना तथा उसे पूरा करने हेतु उन्हें प्रोत्साहन देना।   इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति का सामना करने के लिए हमारी रचनात्मकता की आवश्यकता है।

संत पापा ने कलीसिया में लोकधर्मियों की सहभागिता की आवश्यकता बतलाता हुए कहा कि बदलते समाज में कलीसिया का भविष्य लोकधर्मियों की सक्रिय सहभागिता की मांग कर रही है। अमरीका की कलीसिया का, धर्मशिक्षा एवं शैक्षणिक कार्यों के क्षेत्र में बड़ा योगदान रहा है। आज हमारे लिए चुनौती है कि हम उस ठोस नींव पर सहयोग करें तथा उसे आगे बढ़ायें। इसका अर्थ है कलीसिया में पवित्र आत्मा प्रदत्त वरदानों को पहचानना तथा सावधानी पूरक उसे आगे बढ़ाना। विशेषकर, हमारे समुदायिक जीवन में लोकधर्मियों एवं महिला धर्मसमाजियों के योगदान को महत्व देना।

संत पापा ने सभी धर्म सामाजियों को प्रोत्साहन देते हुए कहा, ″मैं आप सभी को प्रोत्साहन देता हूँ कि येसु के साथ प्रथम मुलाकात के  आनन्द को नवीकृत करें तथा उस आनन्द से अपनी निष्ठा को मजबूत करें तथा बल प्राप्त करें। संत पापा ने वहाँ अनुपस्थित अमरीका के सभी बुजुर्ग धर्मसमाजियों का स्मरण कर उन्हें अपना आध्यात्मिक सामीप्य प्रदान किया।

संत पापा ने परिवारों की विश्व सभा के लिए सभी से अपील की कि वे परिवार की प्रेरिताई पर चिंतन करें तथा उनके लिए प्रार्थना करें।

अंत में उन्होंने माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा अमरीका की कलीसिया के विकास हेतु प्रार्थना की ताकि उनके पुत्र के क्रूस द्वारा दुनिया में आनन्द, आशा तथा आध्यात्मिक शक्ति ला सकें।








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