2015-07-06 12:44:00

परमधर्मपीठीय राजदूतावास से प्रशंसकों को दर्शन, सोमवार को ग्वायाकिल के लिये प्रस्थान


क्वीटो, सोमवार, 6 जुलाई 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने रविवार देर रात्रि एक्वाडोर के क्वीटो स्थित परमधर्मपीठीय राजदूतावास के झरोखे से बाहर खड़े प्रशंसकों को दर्शन देकर उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया।

सन्त पापा की एक झलक पाने के लिये घण्टों सैकड़ों लोग उनके निवास की बालकनी के नीचे प्रतीक्षारत गीतों को स्वर दे रहे थे तथा "सन्त पापा बाहर आइये, बाहर आइये"  का आग्रह कर रहे थे। मध्यरात्रि से कुछ ही देर बाद सन्त पापा ने इन्हें दर्शन देकर कृतार्थ किया तथा उनसे अपनी यात्रा की सफलता हेतु प्रार्थना का आग्रह किया। 

सोमवार, 06 जुलाई को सन्त पापा फ्राँसिस ने क्वीटो से लगभग 265 किलो मीटर दूर स्थित ग्वायाकिल शहर के लिये एक घण्टे की विमान यात्रा की। ग्वायाकिल में सन्त पापा दैवीय करुणा को समर्पित तीर्थ स्थल पर श्रद्धार्पण कर यहाँ से 25 किलो मीटर की दूरी पर स्थित सामानेस पार्क में ग्वायाकिल धर्मप्रान्त के विश्वासियों के लिये ख्रीस्तयाग अर्पित करेंगे। इस समारोह में लगभग दस लाख श्रद्धालुओं के एकत्र होने का अनुमान है। तदोपरान्त, निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सन्त पापा येसु धर्मसमाज द्वारा संचालित सेन्ट ज़ेवियर कॉलेज एवं गुरुकुल समुदाय के साथ मध्यान्ह भोजन करेंगे। इस अवसर पर वे पादरे पाकितो नाम से विख्यात गुरुकुल के पूर्व प्राध्यापक 91 वर्षीय फ्राँसिसको कोर्तेस गारसिया से मुलाकत करेंगे। बोएनुस आयरस में पुरोहित रहते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कई युवाओं को पादरे पाकितो के पास प्रशिक्षण के लिये भेजा था।

सोमवार सन्ध्या सन्त पापा ग्वायाकिल से पुनः राजधानी क्वीटो लौटेंगे। इसी दिन राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति राफायल कोर्रेया से औपचारिक मुलाकत तय है।

एक्वाडोर, बोलिविया एवं पारागुए में सन्त पापा फ्राँसिस की नौ दिवसीय यात्रा निर्धनों को अर्पित एक अनमोल उपहार है। साथ ही, इन देशों के काथलिक धर्मानुयायियों में विश्वास और आशा की लौ प्रज्वलित करने का स्वर्णिम अवसर है। इन देशों में आरम्भ ही से काथलिक धर्म का वर्चस्व रहा है, हालांकि, हाल के वर्षों में प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीय सम्प्रदाय तथा इससे जुड़े कई धर्मपन्थ सक्रिय हो उठे हैं। सन् 1970 ई. में बोलिविया में 89% तथा एक्वाडोर एवं पारागुए में 95% लोग काथलिक धर्मानुयायी थे जो, विगत वर्ष प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार, 77%, 79% तथा 90 % रह गये हैं। अमरीका के मियामी विश्वविद्यालय में धार्मिक अध्ययन एनं अनुसन्धान के प्राध्यापक मिखेले मालदोनादो ने कहा, "लातीनी अमरीकी लोग काथलिक कलीसिया का परित्याग कर रहे हैं क्योंकि वे ईश्वर के संग अधिक व्यक्तिगत सम्बन्ध की खोज में लगे हैं तथा एक सजीव एवं कम औपचारिक कलीसियाई अनुभव की अभिलाषा करते हैं।" 

सन्त पापा फ्राँसिस लातीनी अमरीका के लोगों की इस अभिलाषा को पूरा कर सकेंगे अथवा नहीं?  सम्भवतः, इस प्रश्न का उत्तर हमें एक्वाडोर, बोलिविया तथा पारागुए में, 05 जुलाई से 12 जुलाई तक जारी, सन्त पापा फ्राँसिस की प्रेरितिक यात्रा के बाद ही मिल सकेगा।








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