2015-05-26 12:14:00

साझा न किया गया धन भ्रष्टाचार को जन्म देता है, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 26 मई 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने सचेत किया है कि यदि धन को साझा न किया जाये तो वह भ्रष्टाचार को जन्म देगा।  

वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में सोमवार को ख्रीस्तयाग अर्पण के समय प्रवचन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "यदि आप धनवान हैं तो आपको यह सुनिश्चित्त करना चाहिये कि आपका धन जन कल्याण के लिये प्रयुक्त किया जाये। स्वार्थगत तरीकों से वस्तुओं की विपुलता "दुखद" है यह आशा को छीन लेती तथा छोटे-बड़े, सब प्रकार के भ्रष्टाचार को जन्म देती है।"

सन्त पापा फ्राँसिस सुसमाचार के उस विख्यात पाठ पर चिन्तन कर रहे थे जिसमें एक धनवान व्यक्ति उत्साहपूर्वक प्रभु येसु का अनुसरण करने की इच्छा व्यक्त करता है किन्तु जब उससे कहा जाता है कि वह अपनी सारी धन-सम्पत्ति बेचकर उसे निर्धनों में बाँट दें और फिर आकर प्रभु का अनुसरण करे तो वह उदास और निराश होकर चला जाता है। 

सन्त पापा ने कहा कि धन की आसक्ति सब प्रकार के भ्रष्टाचार की शुरुआत है। यह व्यक्तिगत भ्रष्टाचार, व्यापार में भ्रष्टाचार, राजनीति में भ्रष्टाचार, शिक्षा निकाय में भ्रष्टाचार सबकी शुरुआत है। उन्होंने कहा, "धन को अपने पास रखने में भी एक रहस्य है। धन-सम्पदा में मोहित करने,  प्रलोभन में डालने तथा यह विश्वास दिलाने की क्षमता होती है कि धरती पर रहते हुए भी हम स्वर्ग में हैं।" इसके विपरीत, सन्त पापा कहते हैं कि धरती पर प्राप्त इस प्रकार का स्वर्ग क्षितिज रहित है, जिसमें, धनवान अपने आलीशान बंगलों को दिवारों से घेर लेते हैं ताकि चोर न घुस आये, और "क्षितिज के बिना जीना एक बाँछ का जीवन है; आशा के बिना जीना एक दुःखी जीवन है क्योंकि धन की आसक्ति हमें दुःखी और बाँछ बना डालती है।"

सन्त पापा ने कहा कि जीने के लिये धन ज़रूरी है किन्तु इसका सदुपयोग होना चाहिये, इसे उचित ढंग से प्रशासित किया जाना चाहिये तथा जन कल्याण के लिये इसका उपयोग किया जाना चाहिये।  








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