2015-05-06 12:01:00

प्रेरक मोतीः धन्य एडवर्ड्स जोन्स (निधन 06 मई, 1590)


वाटिकन सिटी, 06 मई सन् 2015

शहीद एडवर्ड्स जोन्स का जन्म इंगलैण्ड के वेल्स में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा रेम्स में हुई थी। पुरोहिताभिषेक के उपरान्त उन्हें, महारानी एलीज़ाबेथ के राजपाठ के समय, मिशनरी कार्यों के लिये इंग्लैण्ड के दूरस्थ क्षेत्रों में भेज दिया गया था। एन्थोनी मिडलटन नामक पुरोहित उनके साथी थे जो 1586 ई. में इंग्लैण्ड में मिशन कार्यों के लिये प्रेषित किये गये थे। सन् 1588 ई. में, एडवर्ड्स जोन्स इन्हीं के साथ जा मिले तथा इंग्लैण्ड के ग़ैरविश्वासियों में धर्मप्रचार करने लगे। शीघ्र ही जोन्स इंग्लैण्ड के काथलिकों के बीच एक विख्यात प्रवचनकर्त्ता एवं मिशनरी सिद्ध हुए। ख्रीस्तीय धर्म के विरोधियों को इन दो पुरोहितों का पता चला और उन्होंने उन्हें क्लर्कनवेल में गिरफ्तार कर लिया। दोनों पुरोहितों के विरुद्ध देशदोह्र एवं विदेशी आक्रमण का आरोप लगाया गया। एडवर्ड्स जोन्स को प्राणदण्ड दे दिया गया। मरते दम तक उन्होंने प्रभु ख्रीस्त में अपने विश्वास की अभिव्यक्ति की तथा अपने आततायियों के लिये क्षमा की याचना की। 06 मई, सन् 1590 ई. को जोन्स अपने विश्वास के ख़ातिर शहीद हो गये। धन्य एडवर्ड्स जोन्स का स्मृति दिवस 06 मई को मनाया जाता है। 

चिन्तनः "धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के कारण अत्याचार सहते हैं! स्वर्गराज्य उन्हीं का है। धन्य हो तुम जब लोग मेरे कारण तुम्हारा अपमान करते हैं, तुम पर अत्याचार करते हैं और तरह-तरह के झूठे दोष लगाते हैं। खुश हो और आनन्द मनाओ स्वर्ग में तुम्हें महान् पुरस्कार प्राप्त होगा। तुम्हारे पहले के नबियों पर भी उन्होंने इसी तरह अत्याचार किया"(सन्त मत्ती अध्याय 05, 10-12)। 








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