वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 1 मई 2015 (सेदोक): इटली के मिलान शहर में "एक्सपो मिलानो 2015" भव्य प्रदर्शनी के उदघाटन के अवसर पर, सन्त पापा फ्राँसिस ने, शुक्रवार, पहली मई को एक सीधे प्रसारण द्वारा अपना विशेष सन्देश जारी किया।
"एक्सपो मिलानो 2015" कला, संस्कृति, परम्पराओं का भव्य मेला है जो पहली मई 2015 से 31 अक्टूबर 2015 तक जारी रहेगा। इसमें विश्व के अनेकानेक राष्ट्र अपनी-अपनी कलाओं, संस्कृतियों, परम्पराओं, खान-पान आदि का प्रदर्शन करेंगे। इस भव्य प्रदर्शनी का शीर्षक हैः "धरती का पोषण जीवन की ऊर्जा।"
अपने सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व का भ्रमण करती ईश प्रजा के नाम पर वे "एक्सपो मिलानो 2015" को सम्बोधित कर रहे थे तथा उनकी आवाज़ उन अनेकानेक निर्धनों की आवाज़ है जो मर्यादा के साथ, पसीना बहाकर, अपनी रोज़ी-रोटी कमाने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि वे सभी ख्रीस्तीय एवं ग़ैर-ख्रीस्तीय निर्धनों के प्रवक्ता हैं जिनसे प्रभु ईश्वर प्रेम करते हैं और जिनके लिये उन्होंने स्वयं अपने पुत्र येसु को इस धरा पर भेजा। इन्हीं प्रभु येसु ने हमें सिखाया है कि हम पिता ईश्वर से अनवरत प्रार्थना करें: हमारे प्रतिदिन का आहार आज हमें दे।"
सन्त पापा ने कहा कि "एक्सपो मिलानो 2015" "एकात्मता के वैश्वीकरण" का स्वर्णिम अवसर है जिसे हम व्यर्थ न जाने दें अपितु जिसके मूल्य की क़दर करें।
"धरती का पोषण जीवन की ऊर्जा", शीर्षक को उद्धृत कर सन्त पापा ने कहा कि यह हम सबको एकता के सूत्र में बाँधता है। उन्होंने आशा व्यक्त की यह शीर्षक केवल शीर्षक तक ही सीमित न रहे बल्कि क्षुधा-पीड़ितों एवं कुपोषित लोगों के प्रति अन्तःकरणों को जागृत कर सके। सन्त पापा ने कहा कि इस भव्य प्रदर्शनी के यथार्थ अभिनायक भूख से तड़पते लोग हैं, वे लोग जो भोजन की कमी के कारण अथवा हानिकर खाद्य पदार्थों के कारण बीमार हो जाते हैं या फिर मर जाते हैं।
खाद्य एवं कृषि संगठन को सन् 1992 में सम्बोधित सन्त जॉन पौल द्वितीय के शब्दों का स्मरण दिलाते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "विपुलता की विरोधोक्ति" अनेक पहलों के बावजूद, आज भी बरकरार है। उन्होंने चेतावनी दी और कहा कि यदि एक्सपो भी अपव्यय और बरबादी करेगा तथा सबके लिये समान एवं धारणीय विकास में योगदान नहीं देगा तो वह भी इस विरोधोक्ति का हिस्सा बन जायेगा। उन्होंने अनुरोध किया कि सब मिलकर एक्स्पो मिलानो को मानसिकता बदलने का सुअवसर बनायें, यह सोचना समाप्त करें कि हमारे दैनिक कृत्यों का असर विश्व के उन लोगों पर नहीं पड़ता है जो भूख से तड़पते हैं तथा भूख से मर जाते हैं।
सन्त पापा ने कहा, "पोषण के क्षेत्र में संलग्न शोधकर्त्ताओं, उद्योगपतियों, व्यापारियों एवं अन्य कार्यकर्त्ताओं की ज़िम्मेदारी गम्भीर है तथा मेरी आशा है कि "एक्सपो मिलानो" इन सब के लिये "एकात्मता की एक महान योजना" शामिल होने का सुअवसर सिद्ध हो। उस योजना में जिसमें प्रत्येक व्यक्ति तथा प्राकृतिक पर्यावरण की सुरक्षा का सम्मान करते हुए धरती को पोषित किया जाये।
सन्त पापा ने कहा, "हमारे समक्ष एक महान चुनौती है जिसके लिये ईश्वर हमें पुकार रहे हैं और वह है अन्ततः, उस उपवन के शोषण को समाप्त करना जिसे ईश्वर ने हमारे सिपुर्द किया है ताकि सब लोग उसके फलों का सेवन कर सकें।"
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