2015-04-25 13:59:00

येसु से प्रथम मलाक़ात


वाटिकन सिटी, शनिवार, 25 अप्रैल 2015 (वीआर अंग्रेजी)꞉ ″येसु उस दिन को कभी नहीं भूलते जिस दिन उन्होंने पहली बार हमसे म़ुलाकात की थी। हमें ईश्वर से स्मरण शक्ति की कृपा माँगनी चाहिए जिससे कि हम प्रथम मुलाकात को सदा याद कर सकें।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत मर्था के प्रार्थनालय में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

उन्होंने कहा, ″येसु के साथ प्रथम मुलाकात एक ऐसी मुलाकात है जो मुलाकात करने वालों के जीवन में परिवर्तन लाती है। योहन एवं अंद्रेयस का रात भर गुरू के साथ ठहरना, सिमोन का नये समुदाय का चट्टान बन जाना, समारितानी स्त्री का मन-परिवर्तन, कोढ़ी द्वारा येसु को धन्यवाद देने हेतु लौटना तथा रक्त स्राव से पीड़ित महिला की चंगाई, निर्णयात्मक मुलाक़ातें थीं। इस प्रकार की मुलाकातों को एक ख्रीस्तीय को कभी नहीं भूलना चाहिए।

संत पापा ने कहा कि येसु ख्रीस्त के साथ ऐसी मुलाकात को वे कभी नहीं भूलते किन्तु हम भूल जाते हैं। संत पापा ने विश्वासियों से प्रश्न किया, ″हमने कब अनुभव किया कि प्रभु हमारे करीब थे? कब हमने अपने जीवन में परिवर्तन या बेहतर बनने या किसी से क्षमा माँगने की भावना का एहसास किया था? कब हमने अनुभव किया था कि प्रभु हमसे कुछ मांग रहे हैं?  संत पापा ने कहा कि विश्वास ही हमारी मुलाकात का आधार है। साऊल के समान हमने भी येसु के साथ मुलाकात की है।

संत पापा ने अंतःकरण की जाँच की सलाह देते हुए कहा, ″हमें उदारता पूर्वक अपनी जाँच करनी चाहिए और अपने आप से पूछना चाहिए कि कब प्रभु ने मुझे अपने जीवन का परिवर्तन करने को कहा या जीवन में कोई नया कदम लेने का निमंत्रण दिया?″ 

संत पापा ने कहा कि यह एक सुन्दर प्रार्थना है जिसे प्रतिदिन किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रथम मुलाकात की स्मृति बनाये रखने तथा उसे याद कर आनंदित होने की सलाह दी क्योंकि यह प्रेममय स्मृति है।

संत पापा ने सुसमाचार का पाठ करने का परामर्श देते हुए कहा कि सुसमाचार जो ईश्वर की अन्य लोगों के साथ मुलाकात की घटना को प्रस्तुत करता है उसका पाठ करें। उसमें हम कई लोगों के मुलाकात की घटना का वर्णन पा सकते हैं, हो सकता है कि उन घटनाओं में से एक मेरी मुलाकात की कहानी से मिलता जुलता हो।

संत पापा ने येसु ख्रीस्त के साथ मुलाकात में ख्रीस्त की इच्छा को उजागर करते हुए कहा कि चूँकि यह मुलाकात एक प्रेमपूर्ण रिश्ता बन जाता है अतः उसे कभी नहीं भूलना चाहिए।

उन्होंने विश्वासियों से कहा कि हमें प्रार्थना करना तथा स्मरण शक्ति की कृपा के लिए प्रार्थना करनी चाहिए कि ख्रीस्त के साथ कब हमारी प्रथम मुलाकात हुई थी जिससे प्रभु यह शिकायत न करें जिसे उन्होंने प्रकाशना ग्रंथ में किया था ‘मुझे तुम से शिकायत है कि तुमने अपने प्रथम प्यार को भुला दिया है।’








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