2015-04-24 16:50:00

मुस्लिम – सिक्ख-ईसाई एक मंच पर


लखनउ, शुक्रवार 24 अप्रैल, 2015 (उकान) अल्पसंख्यकों और उनकी संस्थाओं पर बढ़ते आक्रमण के विरोध में ईसाइयों के साथ मुस्लिमों और सिक्खों ने वृहस्पतिवार 23 अप्रैल को एक अपनी संस्थायें बन्द रखी।

उकान समाचार के अनुसार लखनउ सहित निकटवर्ती 10 जिलों के ख्रीस्तीय संस्थाओं को बन्द रखा गया जिसमें उत्तर प्रदेश मसीह एसोशिएशन (उपमा) से जुड़े अस्पताल भी शामिल थे।

‘उपमा’ के सचिव श्री राकेश के. चैतरी ने कहा, " पिछले 8 महीनों में क्षेत्र में ईसाइयों पर 10 आक्रमण हो चुके हैं। हम प्रधानमंत्री से निवेदन करते हैं कि वे इनकी सीबीआई से जाँच करायें ताकि यह स्पष्ट हो कि इन आक्रमणों के पीछे कौन है क्योंकि सब आक्रमण की मंशा एक ही है। "

उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि इसने अपनी ज़िम्मेदारी से हाथ यह कहते हुए धो लिया कि आक्रमणों के पीछे कुछ साम्प्रदायिक ताकतों और असामाजिक तत्वों का हाथ है।

उन्होंने कहा कि अगर यही आक्रमण किसी मंत्री के निवास पर होता तो उन्हें तुरन्त पकड़ लिया जाता। जो भी हो अगर फिर इस तरह के आक्रमण हुए तो बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और राज्य बन्द और देश बन्द का आह्वान किया जायेगा।

विरोध प्रकट करने के बाद अल्पसंख्यकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल राम नायक से मुलाक़ात की और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से भेंट कर उन्हें ज्ञापन सौंपा।

विरोध दिवस में जिन ख्रीस्तीय समुदायों ने हिस्सा लिया उनमें काथलिक कलीसिया के अलावा मेथोडिस्ट चर्च, चर्च ऑफ़ नॉर्थ इंडिया और असेम्बली ऑफ़ गॉड प्रमुख थे।

सुन्नी मुस्लिम नेता मौलाना ख़ालिद राशीद फिरंगी महली ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, " शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में ईसाइयों की सेवा अनुकरणीय है फिर भी अन्य अल्पसंख्यकों की तरह उन्हें भी निशाना बनाया जा रहा है। यदि अल्पसंख्यकों को जीना है तो उन्हें एक मंच पर आना होगा।"

विरोध दिवस में शामिल सिया मुस्लिक नेता मौलाना काल्बे जव्वद ने लोगों से आग्रह किया कि वे मतभेदों को छोड़ कर एकता के एकसूत्र में बँध जायें।

उत्तर प्रदेश के सिक्ख प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह दुवा ने कहा,       "ख्रीस्तीय शांतिप्रिय हैं उन पर आक्रमण दुर्भाग्यपूर्ण है।"

उधर अखिल भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय प्रजातांत्रिक मोर्चा के अध्यक्ष ने घोषणा की है कि एक राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया जायेगा जिसमें "हाल के हुए आक्रमणों पर"  विचार-विमर्श होगा

  

 

 

 

 

 








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