2015-04-24 15:53:00

नर-नारी का आपसी संबंध


वाटिकन सिटी, बुधवार  22 अप्रैल,  2015 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में  विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

 

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में अगले वर्ष परिवार की बुलाहट और मिशन विषय पर होने वाली सिनॉद को ध्यान में रखते हुए हम परिवार पर चिन्तन करना जारी रखें।  

 

आज हम मिट्टी से मानव की सृष्टि पर चिन्तन करें। मानव की सृष्टि के बाद उसे एक बगान में रखा है जहाँ उसे सृष्टि की देखभाल करना है।

 

ऐसी परिस्थिति में ईश्वर देखता है कि मानव अकेला है और इसलिये उसने नारी को बनाया जिसके साथ नर अपनी जिन्दगी बितायेगा। नारी नर का पूरक है। नर और नारी को ईश्वर ने बनाया ताकि वे एक विधान के तहत् एक साथ जीवन व्यतीत करें और उनका संबंध एक-दूसरे के प्रति आदान-प्रदान का हो।

 

फिर भी उनके जीवन में पाप का आगमन हुआ और उनका जीवन आस्था के अभाव और संशय से भर गया।

 

हमने इतिहास में देखा है विशेष करके महिलाओं के प्रति अत्याचार और हिंसा से भरा है। हाल ही के दिनों पर हमने देखा कि अविश्वास और संदेह ने विवाह के पवित्र बन्धन को कमजोर किया है।

 

यह नर-नारी के बीच की  उस एकता को कमजोर करता है जिसके तहत् नारी का समाज में कम सम्मान दिया जाता है।

 

समाज में ऐसी स्थिति हितकारी नहीं है विशेषकरके युवाओं के लिये।

 

आज ज़रूरत  है कि हमें अपने पापों के लिये पश्चात्ताप करें और विवाह के विधानों की रक्षा के लिये कार्य करें।  यह सब मानव प्राणियों के लिये हितकर होगी। यह हम सब मनुष्यों की बुलाहट है जिसके द्वारा हम पिता परमेश्वर को अपना योगदान देते  

हैं और इस ईश्वरप्रदत्त वरदान की रक्षा करते हैं।

 

इतना कहकर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

 

उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया,  वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, जिम्बाब्ने, दक्षिण कोरिया  फिनलैंड,  ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. फिनलैंड, जापान, उगान्डा, मॉल्टा, डेनमार्क, कतार, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

 

 

 

 

 








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