2015-04-20 15:30:00

ख्रीस्तीय साक्ष्य एक सिद्धांत मात्र नहीं...


वाटिकन सिटी, सोमवार, 20 अप्रैल 2015 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजघर के प्रांगण में संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी का पाठ किया। स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज की धर्म विधि के बाईबिल पाठ में ‘साक्ष्य’ शब्द दो बार सुनाई पड़ता है। पहली बार संत पेत्रुस के मुख से जब वे येरूसालेम मंदिर के द्वार पर लकवे के रोगी को चंगा करते हैं, उन्होंने घोषणा की, ″जीवन के अधिपति को आप लोगों ने मार डाला किन्तु ईश्वर ने उन्हें मृतकों में से जिलाया। हम इस बात के साक्षी हैं।″ (प्रे.च.3꞉15) दूसरी बार, यह शब्द पुनर्जीवित येसु के मुख से सुनाई पड़ता है। पास्का की संध्या, जब वे अपनी मृत्यु एवं पुनरुत्थान का रहस्य प्रकट कर शिष्यों के मन को खोलते तथा उनसे कहते हैं, ″तुम इन बातों के साक्षी हो।″ (लूक 24꞉48)

संत पापा ने कहा कि चेले जिन्होंने पुनर्जीवित येसु को अपनी आँखों से देखा वे अपने असाधारण अनुभव को चुपचाप नहीं रख सके। येसु ने उनपर अपने पुनरुत्थान की सच्चाई को प्रस्तुत किया ताकि वे अपने साक्ष्य द्वारा सभी लोगों तक पहुँच सकें तथा कलीसिया को इसी मिशन को जारी रखना है। प्रत्येक बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति अपने कर्म एवं वचन से पुनर्जीवित येसु का साक्ष्य देने के लिए बुलाया जाता है कि वे जीवित हैं और हमारे बीच विद्यमान है।

संत पापा ने कहा, ″हम सभी साक्ष्य देने के लिए बुलाये गये हैं कि येसु जीवित हैं। हम यह सवाल पूछ सकते हैं कि कौन साक्षी है? उन्होंने उत्तर देते हुए कहा कि साक्षी वह है जिसने अपनी आँखों से देखा है, जो उसे याद करता तथा उसका विवरण देता है। 

संत पापा ने पहचान एवं मिशन को प्रकट करने वाले तीन शब्दों को प्रस्तुत करते हुए कहा, ″देखना, स्मरण करना तथा बतलाना ये तीन क्रियाएँ हैं जो पहचान एवं मिशन को परिभाषित करती हैं। साक्षी वह है जो देखता है, हो सकता है कि वह अपनी आँखों से वास्तविकता देखता हो किन्तु तटस्थ आँखों से देखता या फिर घटना में अपने को शामिल कर लेता है।″ उसे याद करने का अर्थ है न केवल उस घटना को सही तरीके से समझ पाना किन्तु उस घटना के गूढ़ अर्थ से भी अवगत होना। साक्ष्य का विवरण ठंडे तथा असंलग्न तरीके से प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए किन्तु इस प्रकार दिया जाना चाहिए कि लोगों के मन में सवाल पैदा हो तथा उस दिन से उनके जीवन में परिवर्तन आ जाए।

ख्रीस्तीय साक्ष्य एक सिद्धांत मात्र नहीं है और न ही एक विचारधारा या नीतियों की जटिल प्रणाली ही। यह कोई निषेध या नीतिवाद भी नहीं है किन्तु यह मुक्ति का संदेश है, एक सच्ची घटना है कि ख्रीस्त जी उठे हैं, जीवित हैं तथा वे ही सभी के मुक्तिदाता हैं। वे उन लोगों के द्वारा प्रकट किये जाते हैं जिन्होंने प्रार्थना तथा कलीसिया में रहकर उनका व्यक्तिगत अनुभव किया है। कलीसिया की यात्रा बपतिस्मा द्वारा शुरू होती, युखरिस्त द्वारा पोषित होती, दृढ़ीकरण संस्कार द्वारा मुहर लगायी जाती तथा मेल मिलाप संस्कार द्वारा जारी रहती है। अपनी इस यात्रा में ईश वचन द्वारा आलोकित होने वाला ख्रीस्तीय ही पुनर्जीवित ख्रीस्त का साक्ष्य प्रस्तुत करता है। उसका साक्ष्य; आनन्द, साहस, सौम्य, शांतिप्रिय तथा दयालुता जैसे सुसमाचारी सलाहों के अनुसार जीने से अधिक विश्वसनीय तथा प्रत्यक्ष हो जाता है यदि एक ख्रीस्तीय आराम की खोज करता, घमंड करता तथा स्वार्थ पर अधिक ध्यान देता है यदि वह जी उठने के प्रश्नों के प्रति बहरा और अंधा हो जाता है तो वह लोगों को किस प्रकार जीवित येसु का साक्ष्य दे सकता है? लोगों को मुक्त करने हेतु येसु के सामर्थ्य तथा उनकी असीम कोमलता का प्रचार वह किस प्रकार प्रस्तुत कर सकता है?

माता मरिया अपनी मध्यस्थता द्वारा हमें शक्ति प्रदान करे ताकि हम अपनी कमज़ोरियों में न पड़े रहे किन्तु विश्वास की कृपा द्वारा पुनर्जीवित ख्रीस्त का साक्ष्य दें, हम जिन लोगों से मुलाकात करते हैं उन्हें आनन्द एवं शांति रूपी पास्का का उपहार बांट सकें।

इतना कहकर संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

स्वर्ग की रानी प्रार्थना के उपरांत उन्होंने भूमध्यसागर के ज़रिये यूरोप पहुंचने के प्रयास में सैकड़ों शरणार्थियों के डूबने की घटना को याद करते हुए कहा कि समाचारों से मिली जानकारी के अनुसार भूमध्यसागर में और एक दुखद घटना घटी है। लीबिया तट से 60 मील की दूरी पर प्रवासियों से भरी एक नाव के उलट जाने पर सैकड़ों समुद्र में डूब कर मर गये। उन्होंने उनके प्रति शोक व्यक्त करते हुए कहा, ″इस दुखद घटना के शिकार लोगों के प्रति मैं गहन शोक व्यक्त करता हूँ। खोये हुए लोगों तथा उनके परिवार वालों को याद करता तथा उनके लिए प्रार्थना अर्पित करता हूँ।″  उन्होंने विश्व समुदाय से अपील की है कि इस प्रकार की अत्यन्त दुःखद घटना न दोहराये जाने के लिए वे तत्काल निर्णायक कार्रवाई करे।

संत पापा ने प्रवासियों की विकट परिस्थिति की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा, ″वे हमारे तरह हैं, हमारे ही भाई हैं जो बेहतर जीवन की तलाश में निकले थे। भूखे, अत्याचार के शिकार, घायल, शोषित तथा युद्ध की चपेट में वे अच्छे जीवन की खोज कर रहे थे। वे आनन्द पाना चाहते थे।″ संत पापा ने भूमध्यसागर में डूबे लोगों के लिए प्रार्थना का आह्वान करते हुए कहा, ″मैं आप लोगों से अनुरोध करता हूँ कि आप कुछ क्षण मौन रहकर दुर्घटना के शिकार लोगों तथा उनके प्रियजनों के लिए प्रार्थना करें।″ तत्पश्चात उन्होंने विश्वासियों के साथ प्रणाम मरियम प्रार्थना का पाठ किया।

इसके बाद संत पापा ने देश विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

संत पापा ने आगामी 21 जून को तूरिन शहर का दौरा करने की जानकरी दी। उन्होंने कहा, ″आज तूरिन में येसु के पावन कफन को समारोही रूप से लोगों के दर्शन हेतु प्रदर्शित किया जाएगा। यदि ईश्वर की इच्छा हुई तो मैं उसकी आराधना करने हेतु 21 जून को तूरिन जाऊँगा। संत पापा ने आशा व्यक्त की कि तूरिन में पावन कफन के प्रति श्रद्धांजलि हमें करुणावान पिता के चेहरे को येसु ख्रीस्त तथा एक-दूसरे में पाने में मदद करे, विशेष कर, जो दुखद परिस्थिति में हैं।

संत पापा ने विश्वासियों से प्रार्थना का निवेदन करते हुए उन्हें शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।

 








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