2015-04-17 19:17:00

जनसंख्या एवं विकास आयोग के प्रतिनिधियों से महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा


न्यू यॉर्क, 17 अप्रैल सन् 2015 (सेदोक): न्यू यार्क में, गुरुवार को, संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या एवं विकास आयोग के 48 वें अधिवेशन के प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर, राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक, महाधर्माध्यक्ष बेरनादीतो आऊज़ा ने कहा कि मानवजाति फलना-फूलना चाहती है तथा विकास स्वस्थ समाज का संकेत है।

उन्होंने कहा कि एक ओर जहाँ हम हर मानवीय एवं सामाजिक विकास के ख़तरों का सामना करते हैं वहीं दूसरी ओर, समाज में सबके कल्याण को ध्यान में रखते हुए, हमें विकास-प्रबन्धन की ज़िम्मेदारी के भी मौके मिलते हैं।  

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि इस ज़िम्मेदारी के प्रति सचेत रहते हुए परमधर्मपीठ, आयोग द्वारा विचारित, 2015 के बाद विकास के क्षेत्र में आनेवाली चुनौतियों से पूर्णतः सहमत है। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों का उचित रीति से सामना कर वर्तमान पीढ़ी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है। इसके लिये, उन्होंने कहा, "यह ज़रूरी है कि संसाधनों के समान वितरण को सुनिश्चित किया जाये, निर्धनता निवारण के ठोस उपाय किये जायें, उपभोग के धारणीय तरीकों का वरण किया जाये तथा पर्यावरण की सुरक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम किया जाये।"    

महाधर्माध्यक्ष ने परमधर्मपीठ की चिन्ता को ज़ाहिर करते हुए कहा कि इस बात पर बल देना कि जनसंख्या वृद्धि विकास के रास्ते में बाधा है सरासर ग़लत एवं भ्रामक विचार है। उन्होंने कहा कि इससे बेवजह की चिन्ताएं और तनाव उत्पन्न हो गये हैं तथा प्रस्तुत चुनौतियों का सामना करने में कठिनाइयाँ आ रही हैं।      

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "बेहतर यही होगा कि हम लोगों पर बलपूर्वक चालाक नीतियों को न थोपें जो लोगों एवं समाजों के मूल्य निकायों का सम्मान नहीं करती हैं।"  

उन्होंने स्मरण दिलाया कि विकासशील देशों में जहाँ जनसंख्याओं में वृद्धि हो रही है वहाँ प्रायः अर्थव्यवस्थाओं का विकास होते भी देखा जा रहा है। 

 

 

 

 








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