2015-04-16 15:48:00

आज्ञापालन में साहस की आवश्यकता


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 16 अप्रैल 2015 (वीआर सेदोक)꞉ ″जो लोग बोल नहीं सकते और ईश्वर की करूणा का प्रचार करने वालों को बोलने से मना करते हैं वे ईश्वर की आज्ञा का पालन नहीं करते हैं।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

उन्होंने कहा, ″ईश्वर की आज्ञा का पालन करने का अर्थ है परिवर्तन लाने का साहस।″

संत पापा ने प्रवचन में संत योहन रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जो आज्ञापालन पर आधारित है।

उन्होंने कहा, ″आज्ञा का पालन करने का अर्थ है प्रभु के आदेश का पालन करते वक्त आवश्यक परिवर्तन को सम्भव कर पाने का साहस।″ संत पापा ने कहा जो आज्ञा का पालन करते हैं वे अनन्त जीवन के सहभागी हैं किन्तु जो आज्ञाओं का पालन नहीं करता ईश्वर का क्रोध उस पर भारी पड़ता है। प्रेरित चरित से लिए गये पाठ में याजक तथा जनता के नेता ईष्या के कारण प्रेरितों को आदेश देते हैं कि वे सुसमाचार का प्रचार न करें क्योंकि वे येसु के नाम पर चमत्कार करने में समर्थ थे जिसके कारण लोग उनकी ओर आकर्षित हो रहे थे तथा उन्हें भय था कि विश्वासियों की संख्या बढ़ रही थी। नेताओं ने प्रेरितों को बंदीगृह में डाल दिया था किन्तु स्वर्ग दूत ने उन्हें स्वतंत्र कर दिया तथा वे पुनः सुसमाचार का प्रचार करने लगे, इस पर क्रुद्ध होकर नेताओं ने प्रश्न किया जिसका उतर देते हुए पेत्रुस ने कहा, ″मनुष्यों की अपेक्षा ईश्वर की आज्ञा का पालन करना कहीं अधिक उचित है,″ जिसे याजक नहीं समझ सके।

संत पापा ने कहा कि याजक एवं नेता संहिता के विद्वान थे किन्तु वे ईश्वर की मुक्ति को समझ नहीं पाये।

उन्होंने कहा कि हृदय और मन की कठोरता के कारण वे खुद समझ नहीं सकते थे और दूसरों को भी बोलने से मना करते थे।

संत पापा ने कहा कि जो बोल नहीं सकते वे ईश्वर की आज्ञा का पालन नहीं करते हैं। इतिहास में   कठोरता की जड़ नहीं बोल पाना अर्थात वार्ता का अभाव है।

वे ईश्वर से बात करना नहीं जानते थे क्योंकि वे प्रार्थना करना तथा ईश्वर की आवाज सुनना नहीं जानते थे इस प्रकार वे दूसरों से भी बात करना नहीं जानते थे। जो खुद वार्ता करना नहीं जानते वे ईश्वर के समाचार का प्रचार करने वालों को रोकते हैं। संत पापा ने कहा कि बोलने से रोकने के लिए लोग बंदीगृह में डाले जाने थे किन्तु क्या बंदीगृह ईश्वर की आवाज को बंद कर सकता है। संत पापा ने कहा कि ईश्वर की आवाज को रोकने के लिए उन्होंने रिश्वत भी दिया। संत पापा ने ख्रीस्तयाग में सभी शिक्षकों के लिए प्रार्थना की।








All the contents on this site are copyrighted ©.