2015-03-26 15:10:00

भारतीय कलीसिया में जीवन समर्थक दिवस


मुम्बई, बृहस्पतिवार, 26 मार्च 2015 (एशियान्यूज़)꞉ भारत की कलीसिया ने बुधवार 25 मार्च को दूत संदेश के पर्व के दिन जीवन समर्थक दिवस मनाया।

मुम्बई के सहायक धर्माध्यक्ष सावियो फर्नांडिस ने एशियान्यूज़ से कहा, ″प्रत्येक मानव प्राणी में ईश्वर की छाप है अतः उसका सम्मान किया जाना तथा पूर्ण प्रतिष्ठा एवं प्यार से उसके साथ व्यवहार किया जाना चाहिए।″

उन्होंने कहा कि लोगों का झुकाव व्यक्ति की उपयोगिता के आधार पर उन्हें आँकने का है जो वयोवृद्ध, विकलांग, बीमार तथा जरूरतमंद व्यक्ति को नगण्य कर देता है।

धर्माध्यक्ष ने कहा कि भारत में दूत संदेश के पर्व के दिन जीवन समर्थक दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन ईश्वर का वरदान है जिन्होंने हमें अपने ही प्रतिरूप में बनाया तथा अपना जीवन प्रदान किया है अतः जब बच्चे इस संसार में जन्म लेते हैं तो उनमें ईश्वर का छाप होती है। इस प्रकार शारीरिक, मानसिक रूप से स्वस्थ, अस्वस्थ, वयोवृद्ध तथा युवा सभी लोग प्यार एवं आदर किये जाने के योग्य है।

उन्होंने कहा, ″यद्यपि मानव ईश्वर का प्रतिरूप है तथापि पाप उसे विकृत कर देता है जिसके कारण हम एक दूसरे में ईश्वर का प्रतिरूप देख नहीं पाते। पाप हममें यह भ्रम पैदा करता है कि विज्ञान तथा तकनीकी के आविष्कारों द्वारा हम ईश्वर के समान बन गये हैं। यह वही प्रलोभन है जिसने आदम और हेवा को पाप करने के लिए बहकाया था। वे ईश्वर के समान बनना चाहते थे परिणामः पाप का इस दुनिया में प्रवेश हुआ जिसने मृत्यु को जन्म दिया।

उन्होंने कहा, ″आधुनिक युग में बुराई इतनी बढ़ गयी है कि अजात बच्चे, बीमार तथा वयोवृद्ध बेकार समझे जाते हैं। उन्हें बोझ की तरह देखा जाता है तथा उन्हें मिटाने की कोशिश की जाती है।″

धर्माध्यक्ष ने कहा कि जीवन समर्थक दिवस को हम अजन्मे बच्चों, शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ, बीमार, बुजुर्ग आदि लोगों के लिए समर्पित करते हैं। उन्हें ख्रीस्त का प्रेम एवं सहारा देने हेतु उपाय ढूंढने की आवश्यकता है।  

 

 

 








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