2015-03-26 15:26:00

केवल सिद्धांत येसु से मिलने का आनन्द नहीं दे सकता


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 26 मार्च 2015 (वीआर सेदोक)꞉ ″सिद्धांत नहीं, येसु हमें विश्वास और आनन्द प्रदान करते हैं।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 26 मार्च को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

उन्होंने कहा, ″केवल सिद्धांत, येसु से मिलने का आनन्द, विश्वास तथा आशा नहीं दे सकता और जो आनन्दित नहीं हो सकता वह नाखुश विश्वासी है।

संत पापा फ्राँसिस ने प्रवचन में उत्पति ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ ईश्वर ने अब्राहम से पिता बनने की प्रतिज्ञा की थी।

संत पापा ने कहा कि अब्राहम तथा उनकी पत्नी सारा दोनों बूढ़े हो चले थे किन्तु उन्होंने इस प्रतिज्ञा पर विश्वास किया जिसने उनके हृदय में आशा जगाई तथा उन्हें सांत्वना से भर दिया। नये व्यवस्थान में येसु संहिता के पंडितों को अब्राहम का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि वे उस प्रतिज्ञा को पूरा होते देखने के लिए कितने उत्सुक और आनन्दित थे।

संत पापा ने कहा कि संहिता के विद्वानों ने प्रतिज्ञा के आनन्द को नहीं समझा, आशा के आनन्द एवं व्यवस्थान की खुशी से वे अनभिज्ञ रहे। वे खुश होना नहीं जानते थे क्योंकि उन्होंने आनन्द की भावना खो दी थी जो मात्र विश्वास से प्राप्त होती है। पिता अब्राहम आनन्दित हुए क्योंकि उन्हें विश्वास था कि वह प्रतिज्ञा पूरी होगी।

संत पापा ने कहा कि विधि के ज्ञाताओं ने नियम के केंद्र में ईश्वर के प्रेम तथा पड़ोसी के प्रेम को खो दिया था। उनके पास मात्र पुराने सिद्धांतों के ढांचे रह गये थे।

संत पापा ने कहा कि बिना विश्वास, बिना कानून और मात्र सिद्धांतों में जकड़ा व्यक्ति भ्रान्तिपूर्ण रवैये का व्यक्ति बन जाता है।

संत पापा ने कहा कि संहिता के पंडित मज़ाक कर सकते हैं किन्तु आनन्द रहित और घबराते हुए। संत पापा ने खेद प्रकट करते हुए कहा कि ईश्वर पर विश्वास और आशा के बिना जीवन यथार्थ जीवन नहीं है।

उन्होंने विश्वासियों को सलाह देते हुए कहा कि विश्वास का आनन्द और सुसमाचार का आनन्द ही विश्वासी व्यक्ति के मील का पत्थर है अतः संत पापा ने आनन्द की कृपा के लिए प्रार्थना की।

 

 








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