2015-03-04 12:09:00

भले कर्म हैं ईश्वर की क्षमा का उचित प्रत्युत्तर, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बुधवार, 4 मार्च 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस का कहना है कि जब बाईबिल कहता है "चाहे तुम्हारे पाप सिंदूर की तरह लाल ही क्यों न हों ईश्वर उन्हें हिम की तरह श्वेत बना देंगे" तो यह एक प्रकार की अति है, वैसे ही जैसे प्रभु ईश्वर हमें क्षमा करने की अति करते हैं।"  

वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए मंगलवार को सन्त पापा ने कहा, "ईश्वर उदारतापूर्वक हमें क्षमा कर देते हैं। वे यह नहीं कहते कि मैं इतना ही तुम्हें क्षमा करूँगा और शेष बाद में देखा जायेगा अपितु वे सबकुछ को क्षमा कर देते हैं।"

सन्त पापा ने कहा कि चालीसाकाल के समय हम सबसे आग्रह किया जाता है कि हम पश्चाताप कर अपने हृदयों को शुद्ध करें। उन्होंने कहा, "हम ईश्वर की क्षमा खोजें तथा उदारता एवं न्याय के कार्यों द्वारा अपनी सत्यनिष्ठा को प्रदर्शित करें।"

उन्होंने कहा कि नबी इसायाह का लोगों को परामर्श था कि वे भला करना सीखें तथा भलाई में लगें।" 

सन्त पापा ने कहा, "हमारे हृदयों पर लगा मैल, वस्त्रों पर लगे किसी दाग़ की तरह धोया नहीं जा सकता। यह ऐसा नहीं है कि धोबी के पास गये तथा स्वच्छ हो गये।" उन्होंने कहा, "नबी इसायाह के ग्रन्थ से लिया गया पहला पाठ स्पष्ट करता है कि पाप के दाग़ हमारे भले कर्मों से मिटते हैं, वे बुराई की जगह भलाई के रास्ते पर जाने से मिटते हैं।"

भले कर्मों को कैसे सम्पादित किया जाये इस बारे में सन्त पापा ने एक बार फिर नबी इसायाह के शब्दों को उद्धृत किया जो इसायाह के ग्रन्थ के पहले पाठ के 17 वें पद में कहते हैं "भलाई करना सीखो। न्याय के अनुसार आचरण करो, पददलितों की सहायता करो, अनाथों को न्याय दिलाओ और विधवाओं की रक्षा करो।''  

निर्धन, परित्यक्त एवं प्रताड़ित लोगों की मदद का आह्वान कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि आज यदि हम मानवजाति पर बने घावों के उपचार का प्रण करें जहाँ इतनी अधिक पीड़ा है तो निश्चित्त रूप से हमारे हृदय शुद्ध हो जायेंगे।  

 

 

 








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