2015-03-03 10:44:00

दैनिक मिस्सा पाठ


मंगलवार- 3.3.15

दैनिक मिस्सा पाठ

पहला पाठ- इसा. 1꞉10,16-20

सोदोम के शासको! प्रभु की वाणी सुनो। गोमारा की प्रजा! ईश्वर की शिक्षा पर ध्यान दो। स्नान करो, शुद्ध हो जाओ। अपने कुकर्म मेरी आँखों के सामने से दूर करो। पाप करना छोड़ दो,  भलाई करना सीखो। न्याय के अनुसार आचरण करो, पद्दलितों को सहायता दो, अनाथों को न्याय दिलाओ और विधवाओं की रक्षा करो।''  प्रभु कहता है: ''आओ, हम एक साथ विचार करें। तुम्हारे पाप सिंदूर की तरह लाल क्यों न हों, वे हिम की तरह उज्जवल हो जायेंगे; वे किरमिज की तरह मटमैले क्यों न हों, वे ऊन की तरह श्वेत हो जायेंगे। यदि तुम अज्ञापालन स्वीकार करोगे, तो भूमि की उपज खा कर तृप्त हो जाओगे किन्तु यदि तुम अस्वीकार कर विद्रोह करोगे, तो तलवार के घाट उतार दिये जाओगे।'' यह प्रभु की वाणी है। 

सुसमाचार पाठ- मती. 23꞉1-12

उस समय ईसा ने जनसमूह तथा अपने शिष्यों से कहा,  2) ''शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं, 

3) इसलिए वे तुम लोगों से जो कुछ कहें, वह करते और मानते रहो; परंतु उनके कर्मों का अनुसरण न करो, 

4) क्योंकि वे कहते तो हैं, पर करते नहीं। वे बहुत-से भारी बोझ बाँध कर लोगों के कन्धों पर लाद देते हैं, परंतु स्वंय उँगली से भी उन्हें उठाना नहीं चाहते। 5) वे हर काम लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए करते हैं। वे अपने तावीज चौडे’ और अपने कपड़ों के झब्बे लम्बे कर देते हैं। 6) भोजों में प्रमुख स्थानों पर और सभागृहों में प्रथम आसनों पर विराजमान होना,  7) बाजारों में प्रणाम-प्रणाम सुनना और जनता द्वारा गुरुवर कहलाना- यह सब उन्हें बहुत पसन्द है। 8) ''तुम लोग 'गुरुवर' कहलाना स्वीकार न करो, क्योंकि एक ही गुरू है और तुम सब-के-सब भाई हो। 9) पृथ्वी पर किसी को अपना 'पिता' न कहो, क्योंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्वर्ग में है। 10) 'आचार्य' कहलाना भी स्वीकार न करो, क्योंकि तुम्हारा एक ही आचार्य है अर्थात् मसीह। 11) जो तुम लोगों में से सब से बड़ा है, वह तुम्हारा सेवक बने। 12) जो अपने को बडा मानता है, वह छोटा बनाया जायेगा। और जो अपने को छोटा मानता है, वह बडा बनाया जायेगा।  








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