2015-02-26 15:52:00

बाल यौन शोषण के मामले में यूनिसेफ एवं आईएमए एक साथ


नई दिल्ली, बृहस्पतिवार, 26 फरवरी 15 (ऊकान)꞉ बाल यौन शोषण के विरूद्ध मामलों की जाँच करने, रिर्पोट प्रस्तुत करने एवं अभियुक्तों की पहचान करने में मेडिकल चिकित्सकों को मज़बूत करने हेतु संयुक्त राष्ट्रसंघ के बाल कोष विभाग (यूनिसेफ) एवं भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (आईएमएफ) ने एकता का परिचय दिया।

बुधवार 25 फरवरी की सभा में खास पार्टनरशिप की घोषणा करते हुए आई एम एफ तथा यूनिसेफ ने कहा कि वे मैडिकल चिकित्सकों को बाल यौन शोषण के विविध पहलुओं की विस्तृत समझ एवं प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों के साथ तैयार करेंगे।  

उन्होंने कहा, ″बाल यौन शोषण के मामलों में बहुधा मैडिकल चिकित्सक ही सबसे पहले उन लोगों के सम्पर्क में आते हैं अतः उन्हें उन बच्चों की तात्कालिक एवं प्रभावी चिकित्सा हेतु शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए।″ 

यूनिसेफ अधिकारी डेविड मकलौग्हलिन ने कहा, ″बच्चों के विरूद्ध अपराध कई बार अनदेखा एवं अनसुना रह जाता है तथा पर्याप्त रिर्पोट नहीं दिया जाता है। चिकित्सा बंधुत्व के लिए पार्टनरशीप देश में बच्चों की निगरानी हेतु अहम भूमिका निभा पायेगी।″ 

आई एम ए के महा सचिव के.के अग्रवाल ने कहा कि बाल यौन शोषण के सभी मामलों को आपात चिकित्सा के तहत देखभाल की जानी चाहिए, उन्हें मुफ्त चिकित्सा के साथ, सरकार से व्यक्तिगत चिकित्सा सुविधा भी मुहैया करायी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि बाल यौन शोषण के मामले में चिकित्सक का कानूनी उत्तरदायित्व है कि वह चिकित्सा सुविधा प्रदान करे, सबूत जुटाने, तथा पुलिस को सूचित करे और यदि आवश्यक हो तो अदालत में गवाही भी दे।

ज्ञात हो कि भारत में 15 से 19 वर्ष की 4.5 प्रतिशत बालिकाएँ बाल यौन शोषण की शिकार होती हैं लड़के बच्चे भी शोषण के शिकार होते हैं किन्तु उनकी औसतन संख्या कम है।








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