2015-02-25 11:39:00

नई दिल्लीः मदर टेरेसा पर टिप्पणी से काथलिक धर्माध्यक्ष व्यथित


नई दिल्ली, बुधवार, 25 फरवरी सन् 2015 (ऊका समाचार): धन्य मदर तेरेसा पर आरएसएस सरसंचालक मोहन भागवत के हाल के बयान पर भारत के काथलिक धर्माध्यक्षों ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देश में सदियों से चले आ रहे सत्य के प्रति प्रेम को ख़तरे में कदापि नहीं डालना चाहिये ।  

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने एक वकतव्य जारी कर कहा, "यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक विश्व प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता और भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति की सेवाओं को इस तरह के अनुचित विवादों में घसीटा जा रहा है।"

आरएसएस प्रमुख भागवत ने राजस्थान के भरतपुर में आयोजित एक समारोह में कहा था कि निर्धनों के प्रति मदर तेरेसा की सेवा का उद्देश्य उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तित करना था।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने कहा था कि मदर तेरेसा जैसे लोगों ने अच्छा काम किया और अच्छी सेवा की लेकिन "उनका उद्देश्य निर्धनों को ईसाई धर्म में कन्वर्ट करना था। यदि सेवा या काम के नाम पर धर्मान्तरण किया जाता है तो इस तरह की सेवा का अवमूल्यन होता है।"

धर्माध्यक्षों ने अपने वकतव्य में कहा, "मदर तेरेसा की कार्यसूची किसी से छिपी नहीं थी और न ही उन्होंने अपनी सेवाओं का उपयोग धर्मान्तरण के लिये किया। उनकी मुख्य चिन्ता निर्धन लोग एवं उनकी पीड़ाओं को कम करना था, निर्धन राहत पायें तथा आत्म-सम्मान के साथ जियें यही उनकी सेवा का उद्देश्य था।"

धर्माध्यक्षों ने कहा कि मदर तेरेसा निरन्तर कहा करती थीं कि उनकी सेवा का लक्ष्य "हिंदू को एक बेहतर हिंदू बनने में, मुसलमान एक बेहतर मुस्लिम बनने में तथा ख्रीस्तीय धर्मानुयायी को उचित मानव गरिमा के साथ एक बेहतर ख्रीस्तीय बनने में मदद करना था।" 

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव फादर जोसफ चिन्नायन द्वारा हस्ताक्षरित वकतव्य में कहा गया कि मदर तेरेसा सम्पूर्ण विश्व के लिये प्रेम, देख-रेख एवं करुणा की प्रतीक हैं। य़ह एक ऐसी धरोहर है जो आनेवाले युगों में भी जारी रहेगी। 

 








All the contents on this site are copyrighted ©.