2015-02-23 16:44:00

संघर्ष का समय है चालीसा काल


वाटिकन सिटी, सोमवार, 23 फरवरी 2015 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवार 22 फरवरी को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

 अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

 सुप्रभात,

विगत बुधवार को राख की धर्म विधि के साथ चालीसा काल की शुरूआत हो गयी है तथा यर्दन नदी में बपतिस्मा के बाद निर्जन प्रदेश में येसु द्वारा व्यतीत चालीस दिनों की स्मृति में मनायी जाने वाली चालीसा का आज प्रथम रविवार है। संत मारकुस आज के सुसमाचार पाठ में लिखते हैं, ″इसके बाद आत्मा ईसा को निर्जन प्रदेश ले चला। वे चालीस दिन वहाँ रहे और शैतान ने उनकी परीक्षा ली। वे बनैले पशुओं के साथ रहते थे और स्वर्गदूत उनकी सेवा-परिचर्या करते थे।″ (मार.1꞉12-13)

संत पापा ने कहा कि इन सरल शब्दों में सुसमाचार लेखक वर्णन करते हैं कि मसीह को अपनी प्रेरिताई शुरू करने के पूर्व इस परीक्षा से होकर गुजरना पड़ा। इस परीक्षा में प्रभु विजयी हुए जिसने उन्हें ईश राज्य की घोषणा करने के लिए तैयार किया। उन चालीस दिनों के अकेलेपन में, उन्हें शैतान की परीक्षा एवं खुद से संघर्ष करना पड़ा जिस पर उन्होंने जीत हासिल की। उनकी विजय द्वारा हमें सब कुछ पर विजय प्राप्त हुई है किन्तु यह हम पर निर्भर करता है कि हम उस जीत को सुरक्षित रखना चाहते हैं या नहीं।

चालीसा काल के रहस्य पर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने कहा, ″कलीसिया हमें चालीसा काल के आरम्भ की याद दिलाती है क्योंकि इस के द्वारा हमें इस काल के अर्थ और परिप्रेक्ष्य की जानकारी मिलती है जो एक संघर्ष का समय है।″ संत पापा ने कहा कि हमें इस समय संघर्ष करना है, शैतान के विरूद्ध आध्यात्मिक संघर्ष। जब हम चालीसा रूपी मरूस्थल से होकर गुजरते हैं तब हम उस पार भी नजर डालते हैं जो शैतान, पाप और मृत्यु पर येसु की पूर्ण विजय है। 

चालीसा के प्रथम रविवार का अर्थ बतलाते हुए उन्होंने कहा कि इस समय हम अपने को येसु के मार्ग पर वापस लाते हैं वह मार्ग जो जीवन की ओर ले चलता है। हम येसु को देखते हुए उनकी ओर आगे बढ़ें जो निर्जन प्रदेश से होकर गुज़रते हैं।

संत पापा ने कहा कि निर्जन स्थान ही वह स्थान है जहाँ हम ईश्वर की आवाज तथा प्रलोभन की आवाज को सुन सकते हैं। हल्ला गुल्ला तथा उलझन में इस आवाज को सुन पाना असम्भव है इसमें हम सिर्फ अफवाहें सुन सकते हैं जबकि निर्जन स्थान में गहराई तक जा सकते हैं, अपने अंतिम लक्ष्य जीवन या मृत्यु पर चिंतन कर सकते हैं। जब हम ईश्वर की आवाज सुनते हैं तब हम उनकी वाणी को भी सुन सकते हैं। संत पापा ने कहा कि हमें सुसमाचार पर चिंतन करना जरूरी है नहीं तो हम शैतान के आक्रमण का सामना नहीं कर पायेंगे अतः संत पापा ने सुसमाचार के पाठ की पुनः याद दिलाते हुए कहा कि उसे पढ़ना और उस पर चिंतन करना चाहिए। निर्जन प्रदेश का चालीसा काल सांसारिकता से इन्कार करने  हेतु सहायता करता है तथा सुसमाचार के अनुरूप एवं भाइयों के प्रति एकात्मता के साहसिक चुनाव का बल प्रदान करता है। तब हम निर्भय होकर निर्जन प्रदेश में प्रवेश करते हैं क्योंकि हम अकेले नहीं हैं हमारे साथ पिता एवं पवित्र आत्मा की उपस्थिति है। निश्चय ही वे येसु के साथ भी उपस्थित थे। संत पापा ने कहा कि वह पवित्र आत्मा ही है जो चालीसा काल की यात्रा में हमारा मार्ग दर्शन करता है। वही आत्मा जो बपतिस्मा के समय येसु पर कपोत के रूप में उतरा था अतः चालीसा काल ही एक ऐसा समय है जो बपतिस्मा में प्राप्त पवित्र आत्मा की उपस्थिति के बारे हमें सचेत करता है जो हममें क्रियाशील है तथा हमारे द्वारा कार्य कर सकता है। चालीसा काल की  यात्रा के अंत में पास्का जागरण में हम अपने बपतिस्मा के व्यवस्थान तथा उनका अनुसरण करने हेतु अपने समर्पण पर अधिक सजग होते हैं। पवित्र आत्मा के प्रति विनम्र धन्य कुँवारी मरियम उनके द्वारा संचालित होने में हमारी मदद करें जो हमें नयी सृष्टि बनाना चाहते हैं।

संत पापा ने अपनी तथा वाटिकन कर्मचारियों की आध्यात्मिक साधना की सफलता हेतु माता मरिया से प्रार्थना की। उन्होंने कहा, ″आध्यात्मिक साधना के इस निर्जन स्थल में हम येसु की आवाज सुन सकें। अपनी कमज़ोरियों में सुधार ला सकें तथा दैनिक जीवन में आने वाले प्रलोभनों पर विजय पा सकें अतः आप हमारे लिए प्रार्थना करें।

इतना कहकर संत पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने देश विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

उन्हें संदेश देते हुए संत पापा ने कहा, ″चालीसा मन परिवर्तन की यात्रा है जो हृदय पर केंद्रित होती है। हमारे हृदय को प्रभु की ओर अभिमुख होना चाहिए अतः इस प्रथम रविवार के दिन आपको एक छोटी पुस्तिका भेंट करना चाहता हूँ जिसका शीर्षक है ‘गार्ड योर हार्ट’।

पुस्तिका में येसु की शिक्षा एवं सात संस्कारों, पवित्र आत्मा के वरदान, ईश्वर की दस आज्ञाएं, ख्रीस्तीय सदगुण, उदारता के कार्य आदि जैसे हमारे विश्वास की महत्वपूर्ण बातें संकलित हैं।

इन किताबों को स्वयंसेवक दल के सदस्य बांटने में मदद करेंगे जिनमें से कई लोग बेघर हैं। मन- परिवर्तन तथा आध्यात्मिक विकास हेतु आप इन किताबों के ग्रहण करें और इसे अपने साथ रखें। दैनिक जीवन में अच्छाई और बुराई, सांसारिकता एवं सुसमाचार, उदासीनता और उदारता के बीच चुनाव में यह किताब अवश्य मदद करेगी।

मानवता को न्याय, शांति और प्रेम की आवश्यकता है तथा दृढ़ इच्छा शक्ति ही उन्हें ईश्वर के पास वापस ला सकती है जो इन सारी चीजों के अक्षय स्रोत हैं।

अंत में संत पापा ने प्रार्थना की याचना करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगल कामनाएँ अर्पित की।

 








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