2015-01-31 15:37:00

ख्रीस्त के साथ पहली मुलाकात की याद सदा बनाये रखें


वाटिकन सिटी, शनिवार, 31 जनवरी 15 (एशियान्यूज़)꞉ ″एक ख्रीस्तीय को ख्रीस्त के साथ अपनी पहली मुलाकात की याद तथा आशा को सदा बनाये रखनी चाहिए जो विश्वास के उत्साह के साथ जीवन में आगे बढ़ने में मदद करता है जिससे कि हम उदासीन बनने की जोख़िम से बच सकें।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने 30 जनवरी को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए कही।

संत पापा ने इब्रानियों के नाम पत्र से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ लेखक निमंत्रण देते हैं कि हम आरम्भिक दिनों की याद बनाये रखें जब हमने ख्रीस्त के प्रकाश को प्राप्त किया था।

उन्होंने कहा, ″ख्रीस्त के साथ मुलाक़ात के उस प्रथम दिन को कभी नहीं भूलना चाहिए और उस स्मृति के साथ आरम्भिक दिनों के साहस, उत्साह और सरलता को भी, जो पहली मुलाक़ात में उत्पन्न प्रेम से आता है। हमारी स्मृति बहुत महत्वपूर्ण है जिसमें हम उनसे प्राप्त कृपाओं की याद करते हैं क्योंकि जब प्रथम प्यार के उस उत्साह को कम कर दिया जाता है तक ख्रीस्तीयों पर एक बड़ा जोखिम पड़ सकता है और वह जोखिम है गुणगुणापन या उदासीनता।″

संत पापा ने कहा कि उदासीन ख्रीस्तीय गतिहीन हो जाते हैं। वे ख्रीस्तीय कहलाते तो हैं किन्तु उन्होंने प्रथम मुलाकात में एहसास किये गये प्रेम और उत्साह की याद खो दी है। इस भूल के साथ उन्होंने धैर्य, येसु के प्रेम से जीवन की समस्याओं को सहन करने की शक्ति तथा उन समस्याओं को अपने कंधे पर लेने की क्षमता खो दी है।

संत पापा ने उदासीन ख्रीस्तीयों पर प्रकाश डालते हुए उसे स्पष्ट करने हेतु दो अरुचिकर छवियों को प्रस्तुत किया। पहली, जिसके बारे संत पेत्रुस लिखते हैं कि वे उस कुत्ते के समान हैं जो अपने वमन के पास वापस लौटते हैं तथा दूसरी छवि जिसे येसु बतलाते हैं कि वे उस प्रकार के लोग हैं जो शैतान को दूर भगाते हैं और सुसमाचार के अनुसार जीने का निश्चय करते हैं किन्तु जब शैतान बलिष्ठ व्यक्ति के रूप में आता है तो वे उनके लिए अपने घर द्वार आसानी से खोल देते हैं। 

संत पापा ने एक सच्चे ख्रीस्तीय के मापदंडों के रूप में स्मृति और आशा को रखा। हमारी स्मृति को जाग्रत रखना चाहिए ताकि हम उस पहले प्यार के एहसास को न भूल जाए जो हमारी आशा को पोषित करता है। कई बार इस आशा में अंधेरा छा जाता है किन्तु हम आगे बढ़ते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि येसु को पाने की आशा हमें कभी निराश नहीं करती। संत पापा ने कहा कि ये दो मापदंड प्रभु से आते हैं जो भले लोगों की मुक्ति के रक्षक हैं।

संत पापा ने कहा कि हमें इस मुक्ति को सुरक्षित रखना चाहिए जिससे कि वह राई के दाने बढ़कर पेड़ बने तथा फल उत्पन्न करे। संत पापा ने उदासीन ख्रीस्तीयों के प्रति खेद व्यक्त करते हुए कहा कि वे येसु के पास जाने के मार्ग से भटक जाते हैं। 

 








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