2015-01-30 15:14:00

मुक्ति सिर्फ विशिष्ट व्यक्तियों के लिए नहीं किन्तु सभी लोगों के लिए


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 30 जनवरी 2015 (सी एन एस)꞉ ″ईश्वर के पास जाने का जो रास्ता ख्रीस्त ने दिखलाया है वह दूसरों को नीचा करने या एक ख़ास क्लब का निर्माण करने का नहीं किन्तु दूसरों को आलिंगन करते हुए उन्हें प्रेम और भलाई करने का प्रोत्साहन देने का रास्ता है।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 29 जनवरी को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग के दौरान प्रवचन में कही।

उन्होंने कहा, ″ख्रीस्तीय धर्मानुयायी विश्वास को व्यक्तिगत सम्पति मानने के भ्रम में पड़ सकते हैं जब वे समझते हैं कि मुक्ति समस्त ईश प्रजा की नहीं, सिर्फ मेरी और मेरे छोटे समुदाय की है।″

संत पापा ने इस विचार को कलीसिया का कुलीन वर्गीय विचार बताकर एक बड़ी ग़लती कहा। उन्होंने कहा कि जब ईश प्रजा के बीच इस प्रकार के लघु समुदायों का निर्माण होता है तब वे सोचते हैं कि वे अच्छे ख्रीस्तीय हैं। संत पापा ने कहा कि शायद उनके उद्देश्य भी भले हों किन्तु उन्होंने अपने छोटे दलों में मुक्ति को व्यक्तिगत सम्पति समझ लिया है।

संत पापा ने इब्रानियों के पत्र से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ कहा गया है कि येसु का बलिदान किस प्रकार एक नया तथा जीवन्त रास्ता खोल देता है जो ख्रीस्तीयों को ईश्वर के पास लाता है।

संत पापा ने कहा कि जो भी व्यक्ति ईश्वर से मुलाकात करता तथा यह अनुभव करता है कि ईश्वर सिर्फ उसे देख रहे हैं, उन्हें ही जीवन प्रदान कर रहे हैं तथा उनके लिए नये रास्ते का द्वार खोल रहे हैं। तो इस प्रकार के विचार के कारण वह भूल जाता है कि येसु ने उसी प्रकार सभी लोगों की मुक्ति की है।

ईश्वर ने हमें एक प्रज्ञा के रूप में बचाया है जिसे कि हम एक- दूसरे को प्यार करें तथा उनकी भलाई करें एवं समुदाय से अपने को अलग न रखें और एक-दूसरे के साथ मिल-जुल कर रहें।

जब हम सोचते हैं कि मुक्ति सिर्फ मेरी है तो हम सही रास्ते पर नहीं चलते हैं।

संत पापा ने कहा कि जब हम पल्ली या अन्य दलों के साथ सभा में दूसरों का न्याय करने लगते हैं यह नया और जीवन्त रास्ता नहीं है जिसे प्रभु ने खोल दिया है। अन्यों से नफरत कर हम समुदाय से अलग हो जाते हैं ईशप्रजा का परित्याग करते हैं।

येसु के तीन नये एवं सच्चे मार्ग हैं – येसु पर विश्वास करना जो हमें शुद्ध करते हैं, उनकी प्रतिज्ञा पर दृढ़ भरोसा रखना तथा प्रेम एवं सेवा करने हेतु अन्यों को प्रोत्साहन देना।

संत पापा ने कहा कि जब हम समुदाय में बातें नहीं करते, येसु के उन तीन मार्गों पर एक-दूसरे को प्रोत्साहन नहीं देते तो हमने विश्वास को व्यक्तिगत समझ लिया है तथा मात्र अपनी चिंता कर रहे हैं अन्यों की नहीं। 








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