2015-01-26 08:37:00

सभी ख्रीस्तीयों के बीच एकता का सन्त पापा ने किया आह्वान


रोम, सोमवार, 26 जनवरी 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि अनेक ख्रीस्तीय धर्मानुयायी इसलिये उत्पीड़न का कारण बनते हैं क्योंकि वे ख्रीस्त के अनुयायी हैं, भले ही वे किसी भी ख्रीस्तीय कलीसिया अथना ख्रीस्तीय सम्प्रदाय के सदस्य ही क्यों न हों।

रोम स्थित सन्त पौल महागिरजाघर में सन्त पापा फ्राँसिस ने रविवार 25 जनवरी को सान्ध्य वन्दना के पाठ से ख्रीस्तीयों के बीच एकता हेतु प्रार्थना सप्ताह का विधिवत समापन किया। इस अवसर पर प्रवचन करते हुए उन्होंने ख्रीस्त के सभी अनुयायियों के बीच एकता की पुकार लगाई। उन्होंने कहा कि आज विश्व के अनेकानेक स्थलों में ख्रीस्तीयों को सिर्फ इसलिये सताया जा रहा है कि वे ख्रीस्त के अनुयायी हैं।

सन्त पापा ने कहा, "आज के शहीदों पर इसलिये अत्याचार होता है कि वे ख्रीस्तानुयायी हैं, इसमें कलीसियाई अथवा ख्रीस्तीय सम्प्रदाय का कोई भेदभाव नहीं किया जाता इसलिये ख्रीस्तानुयायियों में एकता की नितान्त आवश्यकता है।" मध्यपूर्व तथा विश्व के अन्य क्षेत्रों में सताये जा रहे ख्रीस्तानुयायियों के उत्पीड़न को सन्त पापा ने, एक प्रकार से "ख्रीस्तीय एकता के रक्त" का नाम दिया तथा काथलिक, प्रॉटेस्टेण्ट, ऑरथोडोक्स सभी ख्रीस्तानुयायियों के बीच एकता की पुकार लगाई।    

सन्त पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक प्रयासों को केवल संयुक्त बैठकों एवं गहन विचार विमर्श तक ही सीमित नहीं होना चाहिये बल्कि हर क्षेत्र में सहयोग द्वारा इस एकता को कार्यरूप प्रदान किया जाना चाहिये।

उन्होंने कहा, "एकता सूक्ष्म सैद्धांतिक चर्चा का फल नहीं हो सकती जिसमें प्रत्येक समूह अन्यों को ये बताये कि उनके विचार एवं मत कितने दुरुस्त हैं, इसके बजाय" उन्होंने कहा, "उन तत्वों को उचित रीति से बुद्धिगम्य करना आवश्यक है जो हमें एकता के सूत्र में बाँधते हैं अर्थात् पिता ईश्वर के प्रेम के रहस्य में भागीदार बनने की बुलाहट को सुनना जो पवित्रआत्मा के सामर्थ्य से ईश पुत्र द्वारा हम पर प्रकट किया गया है।"

सुसमाचार से समारी स्त्री के दृष्टान्त को उद्धृत कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि येसु समारी स्त्री से पानी मांगते हैं, उससे बातचीत करते हैं जबकि उस युग के यहूदी समारी जाति के लोगों को नीच एवं तुच्छ मानते थे। उन्होंने कहा, "समारी लोगों से बातचीत करने में प्रभु येसु को कोई तकलीफ़ नहीं हुई। येसु का व्यवहार हमें दर्शाता है कि अपने से भिन्न लोगों के साथ मुलाकात हमें समृद्ध बनाती तथा विकास का अवसर देती है।"   








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